महिला और नाबालिग बेटी पहुंची थीं लेकर फरियाद तीन साल पहले जिले के भटनी थाना में वर्ष 2020 के जुलाई महीने में भीष्म पाल सिंह यादव एसओ पद पर तैनात थे। उसी दौरान थाना क्षेत्र के एक गांव की महिला अपनी नाबालिग बेटी के साथ किसी मामले में शिकायत करने थाने पर पहुंची। आरोप था कि तत्कालीन थानाध्यक्ष भीष्म पाल सिंह यादव ने उन्हें अपने कक्ष में दोनों को बुलाया और वह नाबालिग के साथ छेड़खानी के साथ ही अश्लीलत हरकत करने लगे।
पीड़िता की नाबालिग बेटी से थानेदार ने की थी अश्लीलता छेड़खानी का वीडियो वायरल होने पर थानाध्यक्ष भीष्म पाल के खिलाफ पाक्सो जैसी गंभीर धारा में मुकदमा दर्ज हुआ था। मुकदमें के बाद एसपी श्रीपति मिश्र ने थानाध्यक्ष को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद भीष्मपाल सिंह गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गया। पुलिस द्वारा फरार पुलिस निरीक्षक पर 25 हजार रुपये का इनाम रखा गया। बाद में वह पुलिस की गिरफ्त में आने पर जेल गये। इस मामले में चले मुकदमे के दौरान कोर्ट में विवेचना अधिकारी, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी पंचम लाल तथा सभी पुलिस कर्मी अपनी गवाही से मुकर गए। इसके चलते भीष्म पाल सिंह कोर्ट से बरी हो गए।
सदर विधायक शलभ मणि त्रिपाठी बोले दुर्भाग्यपूर्ण सदर विधायक ने एसपी को लिखे पत्र में कहा है कि यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस बेहद गंभीर प्रकरण में कोर्ट में ट्रायल के दौरान विवेचना अधिकारी, तत्कालीन CO पंचम लाल तथा सभी पुलिस कर्मी अपनी गवाही से पलट गए। जिसके चलते इंस्पेक्टर भीष्म पाल अदालत से बरी हो गए।एक दागी पुलिस कर्मी को बचाने के लिए जिस तरह तत्कालीन क्षेत्राधिकारी समेत तमाम पुलिस कर्मियों ने अपने बयान बदले हैं, वह आपराधिक मिली भगत की तरफ इशारा करता है। सदर विधायक ने इस प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जांच कर गवाही से पलटने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।