
देवास नगर निगम: संपत्तिकर शाखा में पकड़ाया बड़ा फर्जीवाड़ा
आदर्श ठाकुर
देवास। नगर निगम की संपत्तिकर शाखा में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां संपत्तिकर की आईडी जिस व्यक्ति के नाम पर थी उसी आईडी का उपयोग कर दूसरे के नाम पर दर्शा कर फर्जी बिल बनाए गए। ऐसे एक नहीं करीब 114 फर्जी मामले सामने आए हैं। इसका खुलासा तब हुआ जब संबंधितों आवेदकों ने फर्जी खाते के बिल आवास योजना का लाभ लेने के लिए लगाए। आवास योजना विभाग के अधिकारियों ने मामला पकड़ा और निगमायुक्त को जानकारी दी। इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई। उधर करीब चार ऑपरेटरों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। मामला सामने आने के बाद संबंधित विभाग के अफसरों व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
नगर निगम में ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
सूत्रों के अनुसार यह पूरा फर्जीवाड़ा लोगों ने दलालों व ऑपरेटरों के साथ मिलकर आवास योजना का लाभ लेने के लिए किया। जानकारी के अनुसार पीएम आवास योजना का लाभ लेने के लिए कई अपात्र लोगों ने आवेदन किए थे। पीएम आवास योजना के लिए जरूरी दस्तावेजों में पांच साल तक लगातार संपत्तिकर जमा करने का प्रमाण भी आवश्यक है। ऐसे में अपात्र लोगों ने फर्जीवाड़ा करते हुए संपत्तिकर विभाग के माध्यम से पांच साल के फर्जी बिल बनवा लिए। इन बिल में खाता नंबर दूसरे व्यक्ति का था जबकि नाम उस अपात्र व्यक्ति का था जिसने पीएम आवास के लिए आवेदन किया। जब इनका सत्यापन कराया गया तो फर्जीवाड़ा सामने आया। पीएम आवास शाखा ने जांच की तो ऐसे करीब 114 मामले सामने आए। इसके बाद मामले की जानकारी निगमायुक्त विशालङ्क्षसह चौहान को दी गई। खास बात यह कि फर्जी खाते दूसरे के नाम पर बनाने में संपत्तिकर के दो प्रमुख अधिकारियों की आईडी का ही उपयोग हुआ।
नोटिस दिए लेकिन हटाया नहीं गया
सूत्रों के अनुसार इस मामले में जिन ऑपरेटरों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है उन्हें अभी तक विभाग से हटाया नहीं गया है। ऐसे में मामले की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले में एक दूसरे विभाग के कर्मचारी की भी संलिप्पता सामने आई है। एक पूर्व जनप्रतिनिधि से जवाब मांगा है।
700 से ज्यादा आवेदन किए निरस्त
उधर पीएम आवास योजना शाखा ने अपात्र लोगों द्वारा आवास योजना का लाभ लेने के लिए दिए गए 700 से ज्यादा आवेदन निरस्त कर दिए हैं। ये ऐसे लोग थे जिन्होंने फर्जी पट्टे, फर्जी दालिखे लगाकर आवेदन किए थे। इनमें से कुछ ऐसे भी थे जिनके पक्के मकान थे।
नहीं दी जानकारी
इ स मामले में संपत्तिकर अधिकारी प्रवीण पाठक व नामांतरण शाखा प्रभारी रङ्क्षवद्रङ्क्षसह ठाकुर से जानकारी लेनी चाही तो दोनों ने चुप्पी साध ली और किसी प्रकार की जानकारी देने से इनकार कर दिया। सूत्रों के अनुसार इन्हीं दोनों अधिकारियों की आईडी का उपयोग ऑपरेटरों ने फर्जी खाते बनाने में किया है।
इनका कहना
करीब सौ से ज्यादा डबल आईडी बनी है। इनकी जांच की जा रही है। सभी संबंधितों को नोटिस जारी किए हैं। जांच के बाद आगामी कार्रवाई की जाएगी।
-विशालङ्क्षसह चौहान, निगमायुक्त
Published on:
16 Sept 2022 06:20 pm
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