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सत्येंद्रसिंह राठौर, देवास। डग-डग रोटी, पग-पग नीर... कहावत को चरितार्थ करने वाले मालवा की क्षेत्रीय बोली 'मालवी' के प्रति लोगों का अपार प्रेम है। लोग शहरों में रहकर भी मालवी भाषा से पूरी तरह से जुड़े, उसमें रमे हुए हैं। ये लोग मालवी को बढ़ावा देने डिजिटली तरीके से भी लगे रहते हैं। ऐसे ही 10 लोगों की टीम ने गीता का मालवी में अनुवाद किया है। एक माह के अंदर गीता के 18 अध्याय का अनुवाद पूरा कर लिया है। देवास के रहने वाले शिक्षक भावेश कानूनगो व्हाट्सऐप पर मालवी मिठास परिवार नाम से ग्रुप चलाते हैं। इसमें करीब 167 सदस्य हैं, जिनके बीच अधिकांश बातें मालवी में होती हैं। ग्रुप द्वारा मासिक पत्रिका मंथन का ऑनलाइन प्रकाशन किया जाता है।
ग्रुप के माध्यम से हर दिन किसी न किसी पुराण पर आधारित कहानी का मालवी अनुवाद करना रहता है, इन्हीं कहानियों को पत्रिका में शामिल किया जाता है। पिछले दिनों ग्रुप के कुछ सदस्यों के मन में विचार आया कि मालवी भाषा से जुड़ा कुछ अलग काम करना चाहिए, जो अधिक से अधिक लोगों से जुड़ा रहे, उपयोगी भी हो। निष्कर्ष निकला गीता ऐसा ग्रंथ है जो लगभग हर घर में उपलब्ध रहता है और पाठ भी किया जाता है। इसके बाद गीता का मालवी अनुवाद करने का फैसला किया गया। इसके लिए 10 सदस्यों की टीम चुनी गई।
इनमें से 5 अनुवादक व अन्य 5 सहयोगी हैं। पांच में से तीन सदस्यों को 4-4 व दो को 3-3 अध्याय का अनुवाद करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। 16 जनवरी 2022 से मालवी में अनुवाद का काम शुरू किया, जिसे ठीक एक माह में 16 फरवरी को पूर्ण कर लिया गया है। मालवी अनुवाद की शुद्धता के लिए एक-दूसरे से अनुवाद को क्रॉस चेक भी करवाया गया। इसके अलावा आष्टा निवासी प्राध्यापक डॉ. दीपेश पाठक, देवास के सेवानिवृत्त शिक्षक अशोक चौधरी का मार्गदर्शन लिया गया।
अनुवाद में दो गीता का किया उपयोग
मालवी में अनुवाद करने के लिए दो गीता का उपयोग टीम द्वारा किया गया। शिक्षक भावेश कानूनगो ने बताया कि गीता प्रेस गोरखपुर की गीता के साथ ही इस्कॉन की यथारूप गीता की भी मदद ली गई। समय-समय पर अनुवाद की प्रगति, आगे की कार्ययोजना व अन्य बिंदुओं को लेकर टीम के बीच वर्चुअली मीटिंग का आयोजन भी किया गया और विचार साझा किए गए।
Published on:
18 Feb 2022 05:18 pm
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