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हाईकोर्ट के निर्देश के बाद भी प्रशासन नहीं दे रहा ध्यान, व्यवस्थापन के लिए 52 गांव के ग्रामीण दर-दर भटकने को मजबूर

Dhamtari News: हाईकोर्ट के निर्देश के बाद तीन साल बाद भी धमतरी जिले में गंगरेल बांध के डूब प्रभावितों का व्यवस्थापन नहीं हो सका। इसके लिए प्रभावित बार-बार कलेक्टे्रट का चक्कर काट रहे हैं।

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Administration is not paying attention to management, demonstration

व्यवस्थापन के लिए 52 गांव के ग्रामीण दर-दर भटकने को मजबूर

Chhattisgarh News: धमतरी। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद तीन साल बाद भी धमतरी जिले में गंगरेल बांध के डूब प्रभावितों का व्यवस्थापन नहीं हो सका। इसके लिए प्रभावित बार-बार कलेक्टे्रट का चक्कर काट रहे हैं। उनका कहना है कि जब प्रशासन न्यायालय का आदेश का पालन नहीं करेगा, तो किसका बात मानेगा।

बुधवार को व्यवस्थापन की मांग को लेकर डूब प्रभावितों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। यहां राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सचिव और कमिश्नर के नाम ज्ञापन सौंपा गया। गंगरेल बांध के डूबान प्रभावित भुनेश्वर राम, चुनूराम, कुंवर सिंह निषाद, धनसिंग ने बताया कि व्यवस्थापन की मांग को लेकर डूब प्रभावितों ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर किया था, जिस पर हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2020 को आदेश पारित किया था कि उक्त आदेश की प्रति प्राप्त होने पर 3 माह के अंदर सक्षम प्राधिकारी जांच प्रारंभ कर पात्र गंगरेल बांध डूब प्रभावितों को भूमि आबंटित करें। लेकिन आज तीन साल बीतने के बाद भी हाईकोर्ट के उक्त आदेश का पालन नहीं हुआ। सक्षम प्राधिकारी द्वारा भूमि आबंटन के संबंध में जांच कार्रवाई कर प्रभावितों को कोई राहत प्रदान नहीं किया गया। यह हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना है।

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उन्होंने कहा कि इस कारण हाईकोर्ट के आदेशानुसार गंगरेल बांध डूब प्रभावितों को पात्रता अनुसार भूमि आबंटन के लिए कार्रवाई प्रारंभ करने सक्षम प्राधिकारी सचिव राजस्व विभाग एवं आपदा प्रबंधन विभाग को निर्देशित करने की गुहार लगाई है। उनकी बातों को गंभीरता से सुनने के बाद अधिकारी ने उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रदर्शनकारियों में मिलाप राम, फिरतूराम, इन्द्र कुमार, दूजराम, संतराम, बीर बहादूर, दुष्यंत राव घोरपड़े, शिवनारायण, पंडोराम, व्यासु राम, रामेश्वर आदि शामिल थे।

दर-दर भटकने मजबूर

डूबान प्रभावित नरसिंग, प्रेमसिंह, धनपाल, अमरचंद ने कहा कि गंगरेल बांध को बनाने के लिए 52 गांव वालों को अपनी जमीन, खेती-बाड़ी सब कुछ छोडऩा पड़ा। आज (Dhamtari news) गंगरेल बांध बनने से पूरे छत्तीसगढ़ में हरित क्रांति के साथ खुशहाली आ गई, लेकिन डूबान प्रभावितों का अब तक व्यवस्थापन नहीं हो सका। आज भी वे दर-दर भटकने के लिए मजबूर है।

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