
CG News: राजधानी रायपुर से 148 किमी दूर धमतरी जिले के नगरी ब्लाक अंतर्गत सिहावा पर्वत स्थित है। यह क्षेत्र सप्तऋषियों का आश्रम है, जो राम वन गमन पथ कॉरीडोर है। पत्रिका ने राम वन गमन कॉरीडोर का ग्राउंड जीरो से रिपोर्टिंग की।
यहां सबसे ऊंची मुचकुंद पहाड़ी के नीचे पिछली सरकार ने 30 फीट ऊंची प्रभु श्रीराम की प्रतिमा स्थापित की है। इसी पहाड़ी के एक छोर पर 9.61 करोड़ की लागत से 4 एकड़ में राम वन गमन पथ की झलकियां विकसित की गई हैं। जिस श्रृंगी ऋषि के यज्ञ से प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ उनकी प्रतिमा ही खुले आसमान के नीचे है। इसी हालत में ऋषि श्रृंगी के अलावा 6 अन्य ऋषियों की प्रतिमा की है।
मूृर्तियां स्थापित कर छत सहित अन्य सौंदर्यीकरण नहीं हो पाए। प्रतिमा के आसपास खुले सरिया वैसे ही पड़े है। हरियाली गायब हैं। दीप स्तंभ की टाइल्स निकल रही हैं। कई जगह क्षतिग्रस्त है। एप्रोच रोड बदहाल है। कुछ दूर तक सीसी रोड तथा आधे में मुरूम की कच्ची सड़क है। यज्ञ शाला, ओवरहेड वाटर टैंक, कॉटेज निर्माण आदि अधूरे हैं। कॉटेज की चूने से पुताई कर छोड़ दिया गया है। पर्यटन सूचना केन्द्र, मॉड्यूलर शॉप बदहाल है। गार्डनिंग के रूप में बनाए गए वाटिका में पौधरोपण हुआ था। सभी अनदेखी के चलते मर गए।
सिहावा क्षेत्र पहाडिय़ों से घिरा है। यहा कि शांत वादियां और चारों ओर हरियाली लोगों को आकर्षित करता है। श्रृंगी ऋर्षि पर्वत सहित आसपास घूमने पर्यटक आते है, लेकिन इनकी संख्या कम होती है। राम वन गमन पथ लोकर्पण के बाद पर्यटक तो यहां आ रहे, लेकिन मायूस होकर लौट रहे।
पत्रिका जब यहां ग्राउंड रिपोर्टिंग करने पहुंची तब कुछ बाहर के पर्यटक यहां पहुंचे थे। भिलाई निवासी कविता साहू अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे थे। इन्होंने बताया कि वे पूरे परिवार के साथ राम वन गमन पथ देखने पहुंचे हैं। यहां कहीं भी सौंदर्यीकरण नहीं है, जो निर्माण हुए हैं वे भी आधे-अधूरे हैं। ऐसे में उनका आना यहां व्यर्थ लग रहा है।
धमतरी जिले के सिहावा पर्वत में सप्त ऋषियों का आश्रम है। वनवासकाल में प्रभु श्रीराम ने यहां लंबा समय बिताया था। श्रीमद भागवत कथा के अनुसार श्रृंगी ऋषि मृगी से उत्पन्न हुए थे। इस कारण इनके माथे में एक सिंग था और इसलिए नाम श्रृंगी पड़ा। किवदंती है कि राजा दशरथ को पुत्र की इच्छा थी। तब श्रृंगी ऋषि को पुत्रेष्ठी यज्ञ के लिए अयोध्या बुलाया गया था।
यज्ञ के पश्चात माता कौशिल्या की कोख में प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ। वनवासकाल में प्रभु श्रीराम श्रृंगी ऋषि आश्रम में ठहरे थे। श्रृंगी ऋषि भगवान राम के बहनोई थे। उनका विवाह रामजी की बड़ी बहन शांता से हुआ था। शांता गुफा आज भी बंद है। इसे विकसित करने कोई प्रयास नहीं हुआ। स्थानीय लोगों ने बताया कि भालू, तेंदुआ सहित अन्य वन्य जीव विचरण करते हैं।
CG News: मुचकुंद पहाड़ के ठीक नीचे 9.61 करोड़ से यहां राम वन गमन पथ को विकसित करने कई काम हुए हैं। इनमें प्रवेश द्वार, एलईडी ब्राडिंग, प्रभु श्रीराम की प्रतिमा, श्रीराम वाटिका, सप्त ऋषियों की प्रतिमा, एक कॉटेज, पार्किंग, पर्यटक सूचना केन्द्र, एप्रोच रोड, लॉन डेव्हलपमेंट, माड्यूलर शॉप, करटेन वॉल, प्रवेश द्वार, रेलिंग सहित अन्य काम हुए हैं। देखरेख के अभाव में अधिकांश की स्थिति खराब है। सालभर में गिनती के पर्यटक ही पहुंच रहे।
Published on:
04 Dec 2024 10:30 am
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