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नहीं रहे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि सुरजीत नवदीप, 6 दशकों की साहित्यिक यात्रा का अंत, 8 काव्य संग्रह की विरासत छोड़ी…

Poet Surjit Navdeep passes away: हास्य-व्यंग्य कविताओं की बदौलत देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ की पहचान बने कवि एवं राष्ट्रीय मंच संचालकों के पितामह सुरजीत नवदीप का सोमवार रात निधन हो गया।

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छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि सुरजीत नवदीप का निधन (फोटो सोर्स- पत्रिका)

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि सुरजीत नवदीप का निधन (फोटो सोर्स- पत्रिका)

Poet Surjit Navdeep passes away: हास्य-व्यंग्य कविताओं की बदौलत देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ की पहचान बने कवि एवं राष्ट्रीय मंच संचालकों के पितामह सुरजीत नवदीप का सोमवार रात निधन हो गया। अपने सरल व्यक्तित्व व अपनी कविताओं से लोगों का दिल जीतने वाले सुरजीत ने सोमवार रात शहर के एक निजी नर्सिंग होम में अंतिम सांसें ली। वर्ष-2020 में उनका काव्य संग्रह ‘बुढापा जिंदाबाद’ का प्रकाशन हुआ था। अंतिम प्रणाम शीर्षक से उन्होंने एक कविता लिखी।

पढ़िए उनके अंश… ‘जवानी तुझे सलाम करते हैं, बुढापा तुझे प्रणाम करते हैं, जी लिया जितना जीना था, अब सबको राम-राम करते हैं’। यह पंक्ति उनके जिंदादिली को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है। उनके निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमनसिंह सहित साहित्य जगत से जुड़े कवि, साहित्यकार, जिला हिन्दी साहित्य समिति, स्वर्गधाम सेवा समिति, जिले के जनप्रतिनिधि, नेता, व्यापारी व आम नागरिकों ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है।

6 दशकों की साहित्यिक यात्रा, 10 हजार से अधिक मंचों में दी प्रस्तुति

प्रसिद्ध कवि व साहित्यकार सुरजीत नवदीप का जन्म 1 जुलाई 1937 को पंजाब प्रांत के मंडी भावलदीन शहर में हुआ था। यह हिस्सा अभी पाकिस्तान में है। देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार धमतरी के कंडेल गांव में बस गया। शिक्षा-दीक्षा धमतरी में हुई। हिन्दी साहित्य में एमए, बीएड, सीपीएड की उपाधि अर्जित की। शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालीन सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए और स्वतंत्र लेखन साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। उनकी साहित्यिक यात्रा 6 दशकों से भी अधिक की रही। हिन्दी साहित्य में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा।

उनकी 8 कृतियां प्रकाशित हुई। इनमें लाजवंती का पौधा (उपन्यास), हवाओं में भटकते हाथ, कुर्सी के चक्कर में, शब्दों का अलाव, आंसू हंसते हैं, रावण कब मरेगा?, खाओ-पिओ खिसको, बुढ़ापा जिंदाबाद प्रमुख हैं। उक्त कृतियों में उन्होंने अपने शाब्दिक बाणों से समाज में व्याप्त विसंगतियों पर न केवल चोट किया, बल्कि समाज की रचना में सराहनीय योगदान भी दिया। लंबे साहित्यिक जीवन यात्रा में सुरजीत सर ने 10 हजार से अधिक मंचों में प्रस्तुति दी। अपने हास्य व्यंग्य कविताओं से लोगों का दिल जीता।

Poet Surjit Navdeep passes away: हास्य कवि, लेकिन व्यक्तित्व संवेदनशील

कवि सुरजीत नवदीप के साथ अनेक मंचों में सहयोगी बने उनके खास कवि चंद्रशेखर शर्मा बताते हैं कि मूलत: वे हास्य और व्यंग्य के कवि थे, लेकिन उनका व्यक्तित्व सरल, सहज व संवेदनशील था। उनके सहज स्वभाव का हर कोेई कायल था। देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनके गीत-गजल, हास्य-व्यंग्य कविता, कहानी, प्रकाशन के साथ दूरदर्शन व अन्य चैनलों में प्रसारण होता रहा।

सुरजीत सर के साहित्यिक योगदान और उनकी क्षमता को देख विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया। उनका राजभाषा स्वर्ण जयंती समारोह भद्रावती कर्नाटक, मेट्रो रेलवे कोलकाता, छत्तीसगढ़ राज्य राष्ट्रभाषा प्रचार समिति रायपुर, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया कोलकाता, नेशनल थर्मल पॉवर तेलचर अंगुल उड़ीसा, छत्तीसगढ़ साहित्य सम्मेलन रायपुर, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग रायपुर सहित विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक, धार्मिक संगठनों ने सम्मानित किया।

उनकी कविताओं में छिपा होता था संदेश

पीजी कालेज के पूर्व प्राचार्य डॉ चंद्रशेखर चौबे, स्वर्गधाम सेवा समिति के महासचिव अशोक पवार, डॉ सरिता दोशी, कामिनी कौशिक, भूपेन्द्र सोनी ने बताया कि उनका निधन काव्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनका अचानक इस तरह चले जाना साहित्य का चमकता सितारा टूट जाने के समान है। उनकी रचनाएं आम जन-जीवन से जुड़ी होती थी। उनके हास्य व्यंग्य कविताओं में लोगों के लिए संदेश छिपा होता था। साहित्य के क्षेत्र में पूरे देश में धमतरी सहित छत्तीसगढ़ को सुरजीत सर ने पहचान दिलाई। वे टाइम के एकदम पाबंद थे। हर कार्यक्रम में निर्धारित समय से 5 मिनट पहले ही पहुंच जाते थे।

छग ने 82 दिन में 2 ख्यातिनाम कवि खोए

छत्तीसगढ़ ने 82 दिन में दो ख्यातिनाम कवियों को खो दिया। 26 जून 2025 को हास्य कवि पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे का निधन हुआ था। 15 सितंबर 2025 को धमतरी के कवि सुरजीत नवदीप का निधन हो गया। डॉ दुबे व सुरजीत नवदीप अनेक मंचों में एक साथ प्रस्तुति दे चुके थे। धमतरी में भी कई बार दोनों कवियों ने अपनी रचनाओं से लोगों को प्रभावित किया था। प्रभावशाली मंच संचालन के लिए दोनों कवियों को जाना जाता था।