
धार में धूमधाम से मनाया गया गाय गोहरी पर्व (Photo Source- Video Screenshot)
Gaay Gohari Festival : दुनियाभर में भारत को त्योहारों और परम्पराओं का देश भी कहा जाता। क्योंकि, दुनियाभर में सिर्फ भारत ही ऐसा देश है, जहां सबसे अधिक धर्मों और मान्यताओं का मानने वाले लोग बसते हैं। यही कारण है कि, यहां हर दिन को किसी न किसी परम्परा या रस्म के रूप में मनाया जाता है। इनमें कुछ परम्पराएं तो ऐसी हैं, जिसे मनाना और पूरी कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं। मध्य प्रदेश के धार जिले में भी एक ऐसी परम्परा का को निभाया जाता है, जिसका निर्वहन कोई नहीं कर पाता। दरअसल, यहां के लोग सालभर में कभी भी मांगी गई मन्नत पूरी होने पर दिवाली के अगले दिन को गाय गोहरी पर्व के रूप में मनाते हैं।
दीपावली के बाद मनाए जाने वाले इस अजब गजब पर्व की एक ऐसी मान्यता है, जिसे जानकर हर कोई हैरान रह जाता है। जिले के ग्रामीण अंचल में दिवाली के अगले दिन पड़वा पर्व के साथ गाय गोहरी पर्व भी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें मन्नत पूरी होने वाले लोग एक मार्ग पर जमीन पर लेट जाते हैं। इसके बाद उनके ऊपर से एक साथ सैकड़ों की संख्या में गाय गुजरती हैं।
हर साल की तरह इस साल भी दिवाली के बाद गांवों में आज और कल यानी दो दिन गाय गोहरी का पर्व मनाया जाना है। आज सरदारपुर के गवलीपुरा में धूमधाम से गाय गोहरी पर्व मनाया गया। इसके लिए गायों के गुजरने वाले मार्ग को भी अच्छी तरह से सजाया गया। वहीं, गुजरने वाली गायों को भी विशेष श्रंगार कर सजा धजाकर लाया गया। इस करीब दर्जनों मन्नत धारी जमीन पर लेट गए और फिर सामने से सैकड़ों की संख्या में गाय दौड़ते हए आईं और मन्नतधारी के ऊपर चढ़ते हुए गुजर गईं।
स्थानीय लोगों की मानें तो ये परम्परा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि, मन्नत लेने वाला अपनी मन्नत पूरी होने पर 1 साल, 3 साल, 5 साल या आजीवन इस तरह से पड़वा के दिन जमीन पर लेटकर अपने ऊपर से सैकड़ों गायों को गुजरवाता है। इसे गाय गोहरी पर्व के रूप में मनाया जाता है।
हालांकि, स्थानीय ग्रामीणों द्वारा किए जाने वाले तमाम दावों के विपरीत ये परम्परा लोगों की जान से खिलवाड़ करती प्रतीत होती है, इसलिए पत्रिका.कॉम ऐसी किसी परम्परा का समर्थन नहीं करता। मात्र खबर के तौर पर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई है।
Published on:
22 Oct 2025 01:32 pm
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