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गुजरात के चालुक्य वंश ने करवाया था इस मंदिर का निर्माण, प्राचीन नाम था ‘उणिया’

बैजनाथ महादेव मंदिर में लगता है भक्तों का तांता, निकलती है बाबा की बरात

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धार

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Manish Geete

Jul 23, 2022

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बदनावर। सावन माह में बैजनाथ महादेव मंदिर में भक्तों का ताता लगा हुआ है। दूर-दूर से बैजनाथ महादेव मंदिर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर का इतिहास अति प्राचीन होकर बदनावर के इतिहास के साथ इस मंदिर का नाम जुड़ा हुआ है।

बदनावर नगर की पहचान बन चुका बैजनाथ महादेव मंदिर के नाम से गुडी पड़वा पर एक बड़ा मेला भी नगर परिषद द्वारा आयोजित किया जाता है। महाशिवरात्रि पर भोले की बरात भी इसी मंदिर से निकाली जाती है। इसी के साथ सावन माह में निकलने वाली शोभायात्रा जिसमें भगवान भोलेनाथ का मुखोटा रचने निकलता है।

इस बार 4 सावन दो भादवों की सवारियां निकलेगी जिसमें आस-पास के हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे। मान्यता है कि कोई यह मंदिर को उड़ा कर लाया था और सुबह हो जाने पर इस मंदिर को यही रख दिया कुछ इतिहासकार यह मानते है कि यह ग्यारवीं सदी का मंदिर होकर उणिया शैली में बना हुआ है इसे उणिया मंदिर भी कहते है।

इस मंदिर से ही नगर में आयोजित होने वाले विभिन्न धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है। मंदिर के नाम से ही नगर परिषद द्वारा वार्षिक मेला लगाया जाता है। मंदिर पर लगे पुरातत्व विभाग के बोर्ड के अनुसार इसका निर्माण 12 वीं सदी में होना बताया जाता है। इस पर गुजरात की मारू गुर्जर शैली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

परमारकाल के दौरान 12वीं सदी में गुजरात के अनहिलवाड़ पाटन के चालुक्य वंश के राजाओं ने अपने शासनकाल में इसका निर्माण करवाया था। कुछ वर्षों तक इस वंश के राजाओं के अधिकार क्षेत्र में यह भाग रहा था। कत्थई पत्थरों से निर्मित यह मंदिर उस समय भी भव्य रूप में रहा होगा और आज भी यह इसी तरह तन कर खड़ा है।

बताते हैं कि आजादी के पूर्व इसका सभामंडप गिर गया था और तब से केवल मुख्य मंदिर ही बचा है। जिसमें महादेव का भव्य एवं दर्शनीय शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के प्रवेशद्वार की दीवार पर शिलालेख भी लगा है, लेकिन यह किस भाषा में उत्कीर्ण है यह पता नहीं चलता है।

जनसहयोग से विभिन्न कार्य करवाएं जा रहे हैं

मंदिर के पुजारी सोनू गोस्वामी बताते हैं कि वे समय-समय पर मंदिर की दुरावस्था को लेकर पुरातत्व विभाग को अवगत करा चुके हैं किंतु इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जा रहा है। मंदिर परिसर पिछले कुछ समय से जनसहयोग से विभिन्न कार्य करवाएं जा रहे हैं। 2 साल पूर्व यहां उद्यान विकसित करने का बीड़ा उठाया गया। साथ ही परिसर में इधर-उधर पड़ी मूर्तियां भी व्यवस्थित की गई। महिलाओं के शीतला माता पूजन के लिए शेड भी बनाया गया। पिछले दिनों श्रद्धालुओं के विभिन्न धार्मिक अवसरों पर बड़ी संख्या में पहुंचने के दौरान मंदिर के सामने की जगह चौड़ी करने का कार्य भी शुरू किया गया था।