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Achyutashtakam: भगवान कृष्ण का यह अष्टक हर मनोकामना करता है पूरी, पढ़ें-अच्युताष्टकम्

Achyutashtakam: भगवान विष्णु के नौवें अवतार कृष्ण की कृपा जिस व्यक्ति पर हो जाए उसे मृत्युलोक में सब सुख मिलते हैं तो मृत्यु के बाद बैकुंठ और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसे भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का सबसे सरल उपाय है अच्युताष्टकम्, पढ़ें अच्युतम् केशवम् कृष्ण दामोदरम्

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Achyutashtakam

अच्युताष्टकम्

॥ अच्युताष्टकम् ॥

अच्युतं केशवं रामनारायणंकृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम्।

श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभंजानकीनायकं रामचन्द्रं भजे॥1॥

अच्युतं केशवं सत्यभामाधवंमाधवं श्रीधरं राधिकाराधितम्।

इंदिरामन्दिरं चेतसा सुन्दरंदेवकीनन्दनं नन्दजं संदधे॥2॥

विष्णवे जिष्णवे शङ्खिने चक्रिणेरूक्मिणीरागिणे जानकीजानये।

वल्लवीवल्लभायार्चितायात्मनेकंसविध्वंसिने वंशिने ते नम:॥3॥

कृष्ण गोविन्दहे राम नारायणश्रीपते वासुदेवाजित श्रीनिधे।

अच्युतानन्त हे माधवाधोक्षजद्वारकानायक द्रौपदीरक्षक॥4॥

राक्षसक्षोभित: सीतया शोभितोदण्डकारण्यभूपुण्यताकारण:।

लक्ष्मणेनान्वितो वानरै: सेवितोऽगस्त्य-सम्पूजितो राघव: पातु माम्॥5॥

धेनुकारिष्टकानिष्टकृदद्वेषिहाकेशिहा कंसह्रद्वंशिकावादक:।

पूतनाकोपक: सूरजाखेलनोबालगोपालक: पातु मां सर्वदा॥6॥

विद्युदुद्योतवत्प्रस्फुरद्वाससंप्रावृडम्भोदवत्प्रोल्लसद्विग्रहम्।

वन्यया मालया शोभितोर:स्थलंलोहिताङ्घ्रिद्वयं वारिजाक्षं भजे॥7॥

कुञ्चितैः कुन्तलैर्भ्राजमानाननंरत्नमौलिं लसत्कुण्डलं गण्डयो:।

हारकेयूरकं कङ्कणप्रोज्ज्वलंकिङ्किणीमञ्जुलं श्यामलं तं भजे॥8॥

अच्युतस्याष्टकं य: पठेदिष्टदंप्रेमत: प्रत्यहं पूरुष: सस्पृहम्।

वृत्तत: सुन्दरं कर्तृविश्वम्भरस्तस्यवश्यो हरिर्जायते सत्वरम्॥9॥

॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यकृतमच्युताष्टकं सम्पूर्णम् ॥