
शास्त्रों के अनुसार शारीरिक संबंध बनाने के लिए कौन सा समय होता है उचित
शादी के बाद रतिक्रिया (SEX) का अपना महत्व है। यही नहीं, धर्म की दृष्टि से भी देखा जाए तो रतिक्रिया का अपना महत्व और उपयोगिता है। हमारे शास्त्रों में भी बताया गया है कि रतिक्रिया किस समय करना चाहिए। यही नहीं, सनातन धर्म में रतिक्रिया को अवश्यंभावी अनुष्ठान बताया गया है।
जैसा कि सभी जानते हैं संसार में रतिक्रिया सभी करते हैं। इंसान हो या जानवर सभी रतिक्रिया संपन्न करते हैं क्योंकि इसके बाद ही संतान की प्राप्ति होती है और वंश आगे बढ़ता है। लेकिन ये जानकर आप हैरान होंगे कि होने वाले संतान का निर्धारण रतिक्रिया के समय से ही तय होता है। ऐसे में हमें यह जानना और समझना बहुत ही आवश्यक है कि वह कौन सा वक्त है, जिसक वक्त रतिक्रिया करने पर उसका लाभ विशेष मिले। तो आइये जानते हैं कि रतिक्रिया का विशेष समय...
शास्त्र के अनुसार, रतिक्रिया के लिए सबसे उचित समय पहला पहर है। रात्रि का पहला पहर 12 बजे तक माना गया है। ऐसा माना गया है कि इस दरम्यान किया गया रतिक्रिया के फलस्वरूप जो संतान का जन्म लेता है, उसे भगवान शिव का आशीष प्राप्त होता है। माना जाता है कि ऐसी संतान धार्मिक, सात्विक, अनुशासित, संस्कारवान और धर्म का कार्य करने वाला होता है। माना ये भी ऐसे जातकों को शिव का आशीर्वाद प्राप्त रहता है, इसलिए लंबी आयु जीते हैं और भाग्य के प्रबल धनी होते हैं।
प्रथम पहर का महत्व देने के पीछे धार्मिक मान्यता भी है। माना जाता है कि प्रथम पहर के बाद राक्षस गण पृथ्वी लोक के भ्रमण पर निकलते हैं। माना जाता है कि उस वक्त जो रतिक्रिया की गई हो, उससे उत्पन्न होने वाली संतान में राक्षसों के समान गुण होने की प्रबल संभावना होती है। माना जाता है कि वह संतान भोगी, दुर्गुणी और असत्य का पक्ष लेने वाली होती हैं।
इसके अलावे अन्य पहर में रतिक्रिया की जाती है तो शारीरिक, मानसिक औऱ आर्थिक कष्ट सामने आते हैं। माना जाता है कि प्रथम पहर के बाद रतिक्रिया करने से शरीर को कई रोग घेर लेते हैं। वह व्यक्ति अनिद्रा, मानसिक तनाव, थकान का शिकार हो सकता है। माना तो ये भी जाता है कि उससे भाग्य भी रुठ जाता है।
Published on:
16 May 2019 04:09 pm
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