
लाल रंग का बजट बैग 2025
Budget 2025: देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कल यानि 1 फरवरी 2025 शनिवार को बजट पेश करेंगी। यह उनका 8 वां बजट होगा। जो चर्चा का विषय बना हुआ है। हर साल वित्त मंत्री जब बजट पेश करती हैं, तो उनके हाथ में एक लाल रंग की खास चीज होती है। जिसे बही खाता या लाल रंग का बैग भी कह सकते हैं। इसमें बजट के कागजात रहते हैं। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि लाल रंग का बैग ही क्यों ? हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है इससे क्या संकेत मिलते हैं?
हिंदू धर्म में लाल रंग को शुभ और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह रंग मां लक्ष्मी, मां दुर्गा और भगवान गणेश से भी जुड़ा है। लाल रंग धन, उन्नति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक होता है। जब वित्त मंत्री लाल रंग के बैग में बजट रखते हैं, तो इसका अर्थ है कि देश की आर्थिक स्थिति में उन्नति और समृद्धि की कामना की जा रही है।
मोदी सरकार से पहले तक बजट एक पारंपरिक ब्रिटिश स्टाइल के ब्लैक ब्रीफकेस में पेश किया जाता था। लेकिन 2019 में तत्कालीन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पहली बार बजट को एक लाल रंग के कपड़े में लपेटकर बही-खाते के रूप में प्रस्तुत किया। यह भारतीय परंपरा और संस्कृति को दर्शाता है। क्योंकि भारत में प्राचीन काल से व्यापार और वित्तीय लेन-देन के लिए बही खाते का उपयोग किया जाता रहा है।
लाल रंग और देवी लक्ष्मी- हिंदू मान्यता के अनुसार, लाल रंग धन की देवी लक्ष्मी को प्रिय है। जब वित्त मंत्री लाल बैग में बजट रखते हैं, तो यह संकेत देता है कि देश में आर्थिक समृद्धि बनी रहे।
शुभता और शक्ति का प्रतीक- लाल रंग शक्ति, आत्मविश्वास और समृद्धि का प्रतीक है। यह दर्शाता है कि सरकार देश की आर्थिक मजबूती के लिए काम कर रही है।
संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव- बजट को बही-खाते में रखना यह दर्शाता है कि भारत अपनी सांस्कृतिक जड़ों को अपनाते हुए आगे बढ़ रहा है।
अंग्रेजों के शासनकाल में वित्त मंत्री बजट को एक काले रंग के ब्रीफकेस में पेश करते थे, जो पश्चिमी देशों की परंपरा थी। लेकिन मोदी सरकार ने इस परंपरा को बदला और इसे भारतीय संस्कृति के अनुरूप बनाया। बही-खाते की परंपरा यह दर्शाती है कि भारत अपनी आर्थिक नीतियों में पारंपरिक मूल्यों को भी महत्व देता है।
लाल रंग के बैग या बही-खाते में बजट पेश करना सिर्फ एक सरकारी औपचारिकता नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म से जुड़े विशेष संकेतों को भी दर्शाता है। यह न केवल आर्थिक समृद्धि की कामना करता है बल्कि देश की वित्तीय प्रणाली को पारंपरिक जड़ों से जोड़ता है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Updated on:
01 Feb 2025 08:46 am
Published on:
31 Jan 2025 04:30 pm
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