सायंकाल के समय आकाश में तारों का दर्शन करने के बाद व्रत संपन्न करती हैं। हालांकि कुछ महिलाएं चंद्रमा के दर्शन करने के बाद व्रत पूर्ण करती हैं। लेकिन इसका अनुसरण करना कठिन होता है, क्योंकि अहोई अष्टमी की रात्रि में चंद्रोदय देरी से होता है। इस दिन गोवर्धन राधा कुंड में स्नान का बड़ा महत्व होता है।
दीपावली के 8 दिन पहले पड़ता है अहोई अष्टमी
अहोई अष्टमी व्रत का दिन करवा चौथ के चार दिन बाद और दिवाली पूजा से आठ दिन पहले पड़ता है। करवा चौथ के समान ही अहोई अष्टमी भी उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय है। अहोई अष्टमी के दिन को अहोई आठें नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह व्रत अष्टमी तिथि के समय किया जाता है, जो माह का आठवां दिन होता है।करवा चौथ के समान अहोई अष्टमी का दिन भी कठोर उपवास का दिन होता है और अनेक स्त्रियां पूरे दिन जल तक ग्रहण नहीं करती हैं। आकाश में तारों का दर्शन करने के बाद ही उपवास का पारण किया जाता है। जबकि कुछ महिलाएं चंद्र दर्शन के बाद व्रत तोड़ती हैं। इस दिन गोवर्धन राधाकुंड में दर्शन का भी महत्व है।
कब है अहोई अष्टमी
कार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि प्रारंभः 24 अक्टूबर 2024 को सुबह 01:18 बजेकार्तिक कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्तः 25 अक्टूबर 2024 को सुबह 01:58 बजे
अहोई अष्टमी व्रतः गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्तः शाम 05:42 बजे से शाम 06:59 बजे तक
अवधिः 01 घंटा 17 मिनट्स
गोवर्धन राधा कुण्ड स्नानः बृहस्पतिवार, 24 अक्टूबर 2024 को
तारों को देखने का समयः शाम 06:06 बजे
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय का समयः सुबह 11:55 बजे तक