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केवल वेश परिवर्तन नहीं, हृदय परिवर्तन है दीक्षा

 आचार्य तुलसी महाप्रज्ञा चेतना सेवा केंद्र, कुंबलगुड में आयोजित अभिनंदन एवं मंगल भावना समारोह में साध्वी संयमलता ने कहा कि दीक्षा भारतीय संस्कृति का एक महान उपक्रम है, जो केवल वेश परिवर्तन नहीं बल्कि हृदय परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह आत्मिक चिकित्सा की पद्धति है, जो व्यक्ति को आधि, व्याधि और उपाधियों से मुक्त कर […]

 आचार्य तुलसी महाप्रज्ञा चेतना सेवा केंद्र, कुंबलगुड में आयोजित अभिनंदन एवं मंगल भावना समारोह में साध्वी संयमलता ने कहा कि दीक्षा भारतीय संस्कृति का एक महान उपक्रम है, जो केवल वेश परिवर्तन नहीं बल्कि हृदय परिवर्तन की प्रक्रिया है। यह आत्मिक चिकित्सा की पद्धति है, जो व्यक्ति को आधि, व्याधि और उपाधियों से मुक्त कर समाधि की ओर ले जाती है।कार्यक्रम में दीक्षार्थी मनोज सकलेचा के संयम पथ पर अग्रसर होने के संकल्प का स्वागत करते हुए साध्वी संयमलता ने कहा, मनोज ने जीवन में ऊंचाइयां छूने का संकल्प लिया है, हमारी मंगल भावना है कि वह अपने लक्ष्य की ऊंचाइयों को निरंतर प्राप्त करता रहे।साध्वी मार्दवश्री ने दीक्षा के आध्यात्मिक पक्ष को रेखांकित करते हुए कहा, आत्मा ही कर्ता और भोक्ता है। आत्मा में सुख और शांति की प्राप्ति का साधन दीक्षा है, जो संयमी जीवन में सेवा और समर्पण की भावना को और प्रगाढ़ बनाती है।साध्वी मनीषा प्रभा और साध्वी रौनक प्रभा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

दीक्षार्थी मनोज सकलेचा ने कहा, इस संसार के माया-जाल में उलझने के बजाय मुस्कराते हुए संयम पथ पर आगे बढ़ना मेरा संकल्प है। मुनि दिनेश कुमार की प्रेरणा और साध्वी सौम्या मूर्ति के आशीर्वाद से मेरे भीतर यह भावना जागी है।

विजयनगर सभा अध्यक्ष मंगल कोचर ने दीक्षार्थी मनोज को शुभकामनाएं दीं और आगामी चातुर्मास प्रवेश की जानकारी साझा की। इस अवसर पर साध्वी श्यामलता की प्रेरणा से आचार्य भिक्षु त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में प्रकाशित एक विशेष पुस्तक का विमोचन भी किया गया, जिसमें दीक्षार्थी मनोज सकलेचा भी सहभागी रहे।

कार्यक्रम में वरिष्ठ उपाध्यक्ष भंवर मांडोत, बाबूलाल बोथरा, मंत्री दिनेश हिंगड़, सह-मंत्री ज्ञानू नाहटा, तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष कमलेश चोपड़ा और चेतना सेवा केंद्र के अध्यक्ष ललित मांडोत आदि उपस्थित रहे।