
Jamwant Katha
Jamwant Katha: रामायण ग्रंथ में जामवंत की अहम भूमिका रही है। जामवंत जी को ऋछपति भी कहा जाता है। मान्यता है कि ये भगवान ब्रह्मा के अंशावतार थे। इस लिए इनको ब्रह्मा जी ने हमेशा चिरंजीवी रहने का वरदान दिया था। आइए जानते हैं जामवंत जी की भगवान राम से मुलाकात कैसे हुई?
जामवंत से भगवान श्रीराम की मुलाकात वनवास में माता सीता को खोजते समय हुई थी। जब राम और लक्ष्मण उनको खोजते हुए ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। तो वहां उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई। वहीं जामवंत वानरराज सुग्रीव के सेना में थे। उन्होंने राम के साथ मिलकर सीता की खोज और रावण-वध में पूरा सहयोग दिया था। जिसके बाद से जामवंत जी को श्री राम के सहयोगी के रूप में जाना जाता है।
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक जामवंत भगवान राम के परम भक्त और उनकी सेना के सेनापति थे। उन्होंने भगवान श्रीराम की माता सीता की खोज करने और लंका पर विजय प्राप्त कराने में मदद की थी। इसके साथ ही जामवंत जी ने हनुमान जी को उनकी शक्ति का स्मरण कराया था। जिसके बाद हनुमान जी ने समुद्र लांघकर लंका पहुंचे थे।
ऋछराज जामवंत जी का महाभारत में भी उल्लेख मिलता है। वे भगवान श्रीकृष्ण के साथ एक प्रसिद्ध घटना में जुड़े हैं। जब उन्होंने स्यामंतका मणि को लेकर श्रीकृष्ण के साथ युद्ध किया और बाद में अपनी पुत्री जामवंती का उनसे विवाह कराया।
Updated on:
03 Dec 2024 11:47 am
Published on:
03 Dec 2024 11:46 am
बड़ी खबरें
View Allधर्म-कर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
