
कावड़ यात्रा पर जाते समय ध्यान रखें ये बातें, कभी ना करें ये गलती
सावन महिने में कावड़ यात्रा का काफी विशेष महत्व होता है। हर साल सावन माह में चतुर्दशी के दिन यह पर्व मनाया जाता है। इसी दिन से हजारों की संख्या में शिवभक्त केसरिया कपड़े पहरकर कंधों पर कावड़ लेकर ऋषिकेश, हरिद्वार, गोमुख आदि जगहों पर जाकर पवित्र गंगा जल लाते है और घर आकर शिवरात्रि के दिन अपने घर के पास वाले शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल अभीषेक करते हैं। ऐसा मानना है कि सावन के महीने में भगवान शंकर की आराधना करने से मनोवंछित फल की प्राप्ति होती है। हर साल की तरह इस साल भी कावड़ यात्रा पर शिवभक्त कावड़ लेकर निकलेंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कावड़ यात्रा के दौरान कुछ सावधानिया रखनी पड़ती है। आइए आपको बताते हैं किन बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है...
कांवड़ यात्रा पूरे भारत देश में बहुत लोकप्रिय है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बिहार में यह उत्सव प्रमुख रूप से मनाया जाता है. भक्त “बोल बम” “हर हर महादेव” जैसे नारे लगाते है. हर तरफ खुशियों का माहौल होता है. चारो तरफ हरियाली होती है. ऐसे में सावन की फुहारे चार चाँद लगा देती है. शिवभक्त भांग, बेलपत्र, धतूरे, फूलों, दूध, चीनी आदि को गंगाजल में मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं
इस बार यदि आप कावड़ यात्रा पर जा रहे हैं तो गलती से भी कोई ऐसा कार्य ना करें जिससे भगवान शिव नाराज हो जाएं। सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक करने से शिवजी प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। इसलिए सावन के महीने में शिवभक्त गंगाजल लाने और उससे शिवलिंग का अभिषेक करवाने के लिए कांवड़ यात्रा पर जाते हैं। वे यह पूरा सफर पैदल और नंगे पांव करते हैं। लेकिन यदि इसमें कांवड़ यात्रियों द्वारा छोटी सी भूल के कारण भगवान शिव नाराज़ हो जाते हैं। इसलिए कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है और इसके लिए कावड़ियों की संकल्पशक्ति की मजबूती होनी चाहिए। कहा जाता है कि जो शिवभक्त ऐसा नहीं करते हैं उनकी मनोकामना पूरी नहीं होती है।
7. कावड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर जाना भी वर्जित माना गया है।
Published on:
28 Jul 2018 05:13 pm
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