
Mahakumbh 2025
Mahakumbh 2025:महाकुंभ 2025 में देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पवित्र स्नान के लिए त्रिवेणी संगम प्रयागराज में इकट्ठे होंगे। इस भव्य आयोजन को धार्मिक और आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र माना जाता है। इस विशाल मेले में नागा साधुओं की विशेष महत्वता है। यह खासतौर पर नागा साधुओं का पर्व होता है। लेकिन क्या आप इन साधुओं के जीवन रहस्य और कठोर तपस्या के बारे में जानते हैं। अगर नहीं जानते तो आज हम आपको बताएंगे नागा साधुओं की रहस्यमयी जीवन की सच्चाई।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागा साधु सन्यासी संप्रदाय से जुड़े होते हैं। ये अपने शरीर पर भस्म रमाते हैं और निर्वस्त्र रहते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य भौतिक दुनिया और सांसारिक मोह-माया से दूर रहकर ईश्वर की साधना करना होता है। नागा साधु बनने की प्रक्रिया अत्यंत चुनौतीपूर्ण और तपस्या से भरी होती है।
नागा साधु बनने के लिए व्यक्ति को एक दीक्षा प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसमें अखाड़ा समिति यह देखती है कि व्यक्ति नागा साधु की दीक्षा प्राप्त करने योग्य है या नहीं। चयन होने के बाद यह प्रक्रिया लगभग 12 सालों की होती है। दीक्षा के दौरान साधकों को अत्यंत कठोर तप और संयम का पालन करना पड़ता है। अंतिम चरण में उन्हें शाही स्नान के दौरान नागा साधुओं के अखाड़े में शामिल किया जाता है।
नागा साधु अपने शरीर पर वस्त्र इस लिए नहीं धारण करते हैं क्योंकि वह वस्त्रों को सांसारिक जीवन और आडंबर मानते हैं। उनके विचार से कपड़े भौतिकता का प्रतीक हैं। बड़ी बात यह है कि नागा साधु सोने के लिए बिस्तर का भी उपयोग नहीं करते हैं। इनसे दूरी बनाकर वे आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं।
महाकुंभमें नागा साधुओं का शाही स्नान देखने के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग आते हैं। उनके साथ जुड़ी यह रहस्यमयी दुनिया भारत की प्राचीन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।
Updated on:
18 Dec 2024 02:46 pm
Published on:
17 Dec 2024 12:22 pm
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