
Makar Sankranti 2025: देश के कई हिस्सों में मकर संक्रांति का त्योहारबड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर मुख्य रुप भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की खास परंपरा है। इस दिन पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शुभ अवसर पर पंतंग क्यों उड़ाई जाती है। आइए जानते हैं।
तमिल रामायाण के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाई थी, जो इतनी ऊंची ऊड़ी कि वह इंद्रलोक जा पहुंची थी। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन से लोग मकर संक्रांति के पर्व पर पतंग उड़ाते हैं। इसको आनंद और शुभता का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन बच्चे और बड़े सभी पतंग उड़ाते हैं और जीवन में खुशहाली और सफलता की कामना करते हैं।
मकर संक्रांति सूर्य देवता को समर्पित त्योहार है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जिससे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। पतंग उड़ाना सूर्य को अर्पण और उसकी शक्ति को महसूस करने का प्रतीक माना जाता है।
पतंग उड़ाना परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का एक अच्छा जरिया है। इससे आपसी संबंध मजबूत होते हैं। यह परंपरा लोगों को एक साथ लाने और त्योहार का आनंद लेने का माध्यम बनती है।
माना जाता है कि पतंग उड़ाने से बुरी शक्तियां दूर होती हैं। पतंग का आसमान में उड़ना शुभता और नई ऊंचाइयों का प्रतीक है। यह सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
पतंगबाजी मकर संक्रांति का सांस्कृतिक हिस्सा है। प्राचीन समय से ही राजा-महाराजा और आम जन इस परंपरा का पालन करते आ रहे हैं। समय के साथ यह परंपरा और भी प्रचलित हो गई।
इस दिन लोग अलग-अलग रंगों और डिजाइनों की पतंगों से आसमान को सजाते हैं। 'काइट फेस्टिवल' जैसे आयोजन गुजरात के अहमदाबाद और राजस्थान के जयपुर में बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। यह न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का प्रयास भी है।
मकर संक्रांति सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का संकेत देती है। इस समय सूर्य की किरणें स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभकारी होती हैं। खुले आसमान में पतंग उड़ाने से लोग धूप का आनंद लेते हैं, जिससे शरीर को विटामिन-डी प्राप्त होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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Published on:
14 Jan 2025 11:16 am
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