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Mauni Amavasya 2022 Date : मौनी अमावस्या का महत्व, शुभ मुहूर्त और नियम

Mauni Amavasya 2022 : मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान (Ganga Snan) और व्रत का विशेष महत्व

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mauni Amavasya 2022

mauni Amavasya 2022

Mauni Amavasya 2022 : हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ मास (Magh Month) संवत्सर का 11वां महीना होता है। इस माह को दान पुण्य और पूजा पाठ के हिसाब के काफी खास माना गया है। इस मास की अमावस्या माघी अमावस्या (Maghi Amavasya) के नाम से जानी जाती है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था, इस कारण इस दिन को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya) भी कहते हैं। मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान (Ganga Snan) और व्रत का विशेष महत्व माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। ऐसे में इस बार यानि अंग्रेजी कैलेंडर की 1 फरवरी को मौनी अमावस्या तिथि पड़ रही है। तो चलिए जानते हैं इस दिन का महत्व, शुभ मुहूर्त और नियम—

मौनी अमावस्या 2022 के शुभ मुहूर्त
इस बार माघ अमावस्या तिथि की शुरुआत सोमवार, 31 जनवरी को देर रात 02 बजकर 18 मिनट पर होगी और इसका समापन अगले दिन यानि मंगलवार 01 फरवरी को सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर होगा।

ऐसे में उदया तिथि के तहत अमावस्या 1 फरवरी को होगी। अत: स्नान और दान आदि के कर्म भी 1 फरवरी की सुबह ही किए जाएंगे।

कम से कम सवा घंटे का मौन जरूर रखें
मौनी अमावस्या के दिन मौन रहने का अर्थ यह है कि हम स्वयं के अंतर्मन में झांके, ध्यान करें और प्रभु की भक्ति करें। यानि इस दौरान केवल मुंह से ही मौन न रहकर अपने अंतरमन को भी विचलित होने से बचाएं और प्रभु भक्ति में लगाएं।

ऐसा करने से एक ओर जहां आपके अंदर सकारात्मकता आती है, वहीं आध्यात्मिकता का भी विकास होता है। ऐसे में यदि आप आप पूरे दिन मौन व्रत नहीं रख सकते हैं तो भी कम से कम सुबह के समय सवा घंटे का मौन जरूर रखें और स्नान व दान भी मौन रहकर ही करें। कहा जाता है कि मौन रहकर स्नान और दान करने से इंसान के कई जन्मों के पाप कट जाते हैं।

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मौनी अमावस्या के ये हैं नियम
मौनी अमावस्या के नियमों के तहत इस दिन ब्रह्म मुर्हूत में यानि सूर्योदय से पहले उठकर मन में व्रत का संकल्प लें और मौन धारण करें। इस दौरान मन में प्रभु नारायण का मन में जाप करते रहें। यदि आप गंगा घाट पर नहीं जा सकते, तो ऐसी स्थिति में घर में गंगा जल में पानी मिलाकर स्नान कर लें।

साथ ही स्नान से पहले गंगा जल को हाथ जोड़कर प्रणाम करें। स्नान के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करके सूर्यदेव को जल में काले तिल डालकर अर्घ्य अर्पित करें। इसके पश्चात नारायण की पूजा करते हुए मंत्रों का जाप करें। फिर सामर्थ्य के अनुसार दान करें, इसके साथ ही यदि इच्छा हो तो पूरे दिन केवल फल और जल लेकर व्रत रखें।

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मौनी अमावस्या का महत्व
धार्मिक मान्यताओं में मौनी अमावस्या के दिन गंगा नदी का जल अमृत के समान माना गया है। इसमें देवताओं का वास होने के चलते इस दिन गंगा स्नान का महत्व अत्यंत खास हो जाता है। इसके अलावा इस दिन मौन व्रत का भी विशेष महत्व है, माना जाता है कि ऐसा करने से व्रत का पुण्य अत्यधिक बढ़ जाता है।

वहीं इस दिन पितरों की मुक्ति और तृप्ति के लिए भी ये दिन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन पितर के नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि कर्म करने से पितर बेहद प्रसन्न होते हैं और अपने वंश को सुखी और समृद्ध जीवन का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।