
संबंधी की मौत के संबंध में निर्जला एकादशी का नियम
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। इसके लिए विधि विधान से एकादशी व्रत रखना चाहिए। इसकी तैयारी एकादशी के दिन से एक दिन पहले मध्याह्नकाल से शुरू हो जाती है। इस समय से ही मन की पवित्रता पर ध्यान देना होता है और शाम को भोजन नहीं करते, ताकि अगले दिन पेट में भोजन के अंश शेष न रहें। एकादशी के दिन भक्त कठोर उपवास रखते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद नियमानुसार उपवास खोलते हैं।
इस व्रत को भक्त अपनी सामर्थ्य के अनुसार कई प्रकार से रखते हैं, कुछ लोग एक समय फलाहार, कुछ लोग निर्जला, कुछ केवल फल, कुछ लोग सिर्फ जल तो कुछ क्षीर (दुग्ध सामग्री) ग्रहण करते हैं। हालांकि इसको व्रत शुरू करते समय संकल्प के दौरान ही तय कर लेना होता है। लेकिन एकादशी व्रत में किसी भी प्रकार के अन्न और अनाज का सेवन वर्जित होता है और यह नियम सभी 24 एकादशी में एक सा होता है। लेकिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी दूसरी एकादशियों से थोड़ी अलग है, इसे निर्जला ही रहना होता है। मान्यता है कि सिर्फ इस एकादशी का व्रत रखने से सभी एकादशी का फल मिल जाता है।
Updated on:
17 Jun 2024 04:39 pm
Published on:
17 Jun 2024 04:37 pm
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