scriptEkadashi Parana Niyam: इस समय नहीं करना चाहिए एकादशी व्रत का पारण, गंवा देंगे व्रत का पूरा फल, बन जाएंगे पाप के भागी | Paran Na Karen: Ekadashi fast should not be broken at this time, you will lose the full benefits of the fast and will become a part of sin | Patrika News
धर्म-कर्म

Ekadashi Parana Niyam: इस समय नहीं करना चाहिए एकादशी व्रत का पारण, गंवा देंगे व्रत का पूरा फल, बन जाएंगे पाप के भागी

kis samay paran na karen हर व्रत के कुछ नियम होते हैं। शास्त्रों में इन व्रतों को शुरू करने से पारण करने (व्रत तोड़ने) तक के नियम बताए गए हैं। इन नियमों की अनदेखी से व्रत का पूरा फल नहीं मिलता, उल्टा पाप के भागी बन सकते हैं। इन्हीं में से एक है एकादशी का व्रत। महीने में दो बार पड़ने वाले एकादशी व्रत पारण का भी नियम है, जिसके अनुसार इस समय एकादशी व्रत का पारण नहीं करना चाहिए ( hari vasar paran ka niyam)…

भोपालJul 02, 2024 / 07:40 pm

Pravin Pandey

kis samay paran na karen

किस समय पारण न करें

क्या है एकादशी व्रत पारण का नियम (Parana Ka Niyam)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत को समाप्त करने को पारण (Ekadashi Parana) कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। साथ ही एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।

इस समय बिल्कुल पारण न करें (Kis Samay Parana Na Karen)

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। लेकिन एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं, उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। बता दें कि हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है।
इसके अलावा व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।
ये भी पढ़ेंः Mohini Ekadashi Katha: ये है मोहिनी एकादशी व्रत कथा, हजार गौदान का मिलता है पुण्यफल

दो दिन एकादशी पड़ने पर क्या करें

कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। संन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।

रात में होता है जन्माष्टमी का पारण

जन्माष्टमी को छोड़कर सब व्रतों में पारण दिन को किया जाता है । देवपूजन करके ब्राह्मण खिलाकर तब भोजन या पारण करना चाहिए । पारण के दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए। पारण के दिन मांस भक्षण और मद्यपान नहीं करना चाहिए। इस समय मिथ्याभाषण, व्यायाम, स्त्रीप्रसंग आदि भी नहीं करना चाहिए ।

Hindi News/ Astrology and Spirituality / Dharma Karma / Ekadashi Parana Niyam: इस समय नहीं करना चाहिए एकादशी व्रत का पारण, गंवा देंगे व्रत का पूरा फल, बन जाएंगे पाप के भागी

ट्रेंडिंग वीडियो