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Pitru Dosh Effects: बीमार पड़ना, क्लेश… हैं पितृ दोष के लक्षण, पितृपक्ष में इन उपायों से करें नाराज पितरों को खुश

Pitru Dosh Effects: पितृ दोष के कारण जीवन में कठिनाइयां और रुकावटें आती हैं। जानें पितृ दोष के लक्षण, दक्षिण दिशा का महत्व, श्राद्ध और पूजा विधि से मुक्ति पाने के आसान उपाय।

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भारत

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Dimple Yadav

Aug 27, 2025

Pitru Dosh Effects

Pitru Dosh Effects (photo- grok ai)

Pitru Dosh Effects: हिंदू धर्म में पितरों का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा विश्वास है कि यदि पितर प्रसन्न हों तो जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और शांति बनी रहती है। वहीं, जब पितर नाराज हो जाते हैं या उनकी आत्मा तृप्त नहीं होती, तो व्यक्ति को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसे ही पितृ दोष कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके लक्षण और मुक्ति के उपाय।

पितृ दोष के संकेत (Lakshan of Pitra Dosh)

  • परिवार में बार-बार बीमारियां बनी रहना।
  • घर में बिना कारण झगड़े और अशांति होना।
  • व्यापार या नौकरी में लगातार हानि होना।
  • अचानक घर में पीपल का पौधा उग आना।
  • विवाह में बाधाएं आना।
  • संतान प्राप्ति में दिक्कत होना।
  • परिवार में दुर्घटनाओं की बढ़ती घटनाएं।
  • यदि ये संकेत बार-बार आपके जीवन में नजर आएं, तो यह पितृ दोष का संकेत हो सकता है।

पितृ दोष से मुक्ति के उपाय (Upay for Pitra Dosh)

पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान विधि-विधान से करना चाहिए। साथ ही भगवान शिव की आराधना विशेष फलदायी होती है। रोजाना जल में काले तिल और गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें। 21 सोमवार तक गायत्री मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से भी पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।

दक्षिण दिशा का महत्व

धर्मग्रंथों में दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा बताया गया है। इसलिए इस दिशा में प्रतिदिन सरसों के तेल का दीपक जलाना, पितरों का स्मरण करना और उनकी तस्वीर के सामने धूप-अगरबत्ती अर्पित करना बेहद शुभ माना गया है। यह उपाय पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।

पीपल पूजन

पीपल के वृक्ष में पितरों का वास माना जाता है। दोपहर के समय पीपल के पेड़ में जल चढ़ाना, सात बार परिक्रमा करना और उसके नीचे सरसों के तेल व काले तिल का दीपक जलाना शुभ फल देता है। इसे छायादान कहा जाता है और यह पितरों को प्रसन्न करता है।

पितृ दोष निवारण मंत्र

  • ॐ श्री पितराय नमः
  • ॐ श्री पितृदेवाय नमः
  • ॐ श्री पितृभ्यः नमः
  • ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः
  • ॐ पितृभ्यः स्वधायिभ्यः पितृगणाय च नमः
  • ॐ श्राध्दाय स्वधा नमः
  • ॐ नमः शिवाय
  • ॐ श्रीं सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेशं हं हं सुख शांतिम् देहि फट् स्वाहा