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मातृ नवमी का श्राद्ध करने वाले की हर इच्छा हो जाती है पूरी

locationभोपालPublished: Sep 18, 2019 02:12:23 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

Matra Navami Shraddha : ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से जातकों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है।

मातृ नवमी का श्राद्ध करने से वाले की हर इच्छा हो जाती है पूरी

मातृ नवमी का श्राद्ध करने से वाले की हर इच्छा हो जाती है पूरी

आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि यानी मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म किया जाता है। नवमी तिथि के साथ श्राद्ध पक्ष में बहुत श्रेष्ठ श्राद्ध माना जाता है। नवमी तिथि को माता और परिवार की विवाहित महिलाओं का श्राद्ध किया जाता है, जिसे ‘मातृ नवमी’ कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि मातृ नवमी का श्राद्ध कर्म करने से जातकों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है।

 

कहीं आप भी तो श्राद्ध का भोजन किसी दूसरे के घर नहीं करते…

धन, संपत्ति, सौभाग्यवती श्राद्ध

मातृ नवमी श्राद्ध के दिन घर पुत्रवधुएं को उपवास रखना चाहिए। क्योंकि इस श्राद्ध को सौभाग्यवती श्राद्ध भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार नवमी का श्राद्ध करने पर श्राद्धकर्ता को धन, संपत्ति व ऐश्वर्य प्राप्त होता है तथा सौभाग्य सदा बना रहता है। अगर इस दिन जरूरतमंद गरीबों को या सतपथ ब्राह्मणों को भोजन करने से सभी मातृ शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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मातृ नवमी का श्राद्ध ऐसे करें

1- सुबह नित्यकर्म से निवृत्त होकर घर की दक्षिण दिशा में हरा वस्त्र बिछाएं।
2- सभी पूर्वज पित्रों के चित्र (फोटो) या प्रतिक रूप में एक सुपारी हरे वस्त्र पर स्थापित करें।
3- पित्रों के निमित्त, तिल के तेल का दीपक जलाएं, सुघंधित धूप करें, जल में मिश्री और तिल मिलाकर तर्पण भी करें।
4- परिवार की पितृ माताओं को विशेष श्राद्ध करें, एवं एक बड़ा दीपक आटे का बनाकार जलायें।
5- पितरों की फोटो पर गोरोचन और तुलसी पत्र समर्पित करें।
6- श्राद्धकर्ता कुशासन पर बैठकर भागवत गीता के नवें अध्याय का पाठ भी करें।
7- गरीबों या ब्राह्मणों को लौकी की खीर, पालक, मूंगदाल, पूड़ी, हरे फल, लौंग-इलायची तथा मिश्री के साथ भोजन दें।
8- भोजन के बाद सभी को यथाशक्ति वस्त्र, धन-दक्षिणा देकर उनको विदाई करें।
9- पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध है और इसे संपन्‍न करने का शुभ समय कुटुप मुहूर्त और रोहिणा होता है। मुहूर्त के शुरु होने के बाद अपराह्रन काल के खत्‍म होने के मध्‍य किसी भी समय श्राद्ध क्रिया संपन्‍न किया जा सकता है। श्राद्ध के अंत में तर्पण भी किया जाता है।

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मातृ नवमी का श्राद्ध करने से वाले की हर इच्छा हो जाती है पूरी

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