शनिवार को अपने नाम के अनुसार, कर लें ये महाउपाय, जीवन के सारे अभाव दूर कर देंगे महाबली श्री हनुमान
पितृ पक्ष की अष्टमी तिथि को उन पित्रों का श्राद्ध करें, जिनकी मृत्यु अष्टमी तिथि को हुई हो। इस दिन पिंडदान तर्पण आदि श्राद्ध कर्म करने के बाद विधिवत भगवान शिव के कालभैरव स्वरूप का पूजन करके उनके इस मंत्र का जप 108 बार करें। जप करते समय तिल या सरसों के तेल का दीपक दो मुख वाला जलता रहे। कहा जाता है कि ऐसा करने से अनेक मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
इस मंत्र का करें जप
पितृ पक्ष की कालाष्टमी तिथि को दोपहर में श्राद्ध कर्म करने के बाद इस मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से 108 बार कंबल के आसन पर बैठकर करें।
मंत्र
।। ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
कालाष्टमी तिथि इस लिए होती है खास
एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु के विवाद के कारण महादेव के अत्यधिक क्रोधित हो गये और उनके क्रोध से एक अद्भुत शक्ति का जन्म हुआ जिसे कालभैरव कहा गया। जिस कालभैरव उत्पन्न हुए उस दिन कालाष्टमी तिथि थी। यह तिथि प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को आती है जिसे कालाष्टमी कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव जी के अंश कालभैरव की पूजा करने सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
***********