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सावन में करें भगवान शंकर की ये महाआरती, कट जायेंगे से सारे संकट

locationभोपालPublished: Jul 18, 2019 03:24:05 pm

Submitted by:

Shyam

sawan maas me shiv ki aarti: सावन मास में भगवान शंकर की पूजा, अभिषेक आदि क्रम करने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ इस महाआरती का पाठ गायन के साथ करें। शिवजी प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी कर देते हैं।

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सावन में करें भगवान शंकर की महाआरती, कट जायेंगे से सारे संकट

सावन का पवित्र माह शुरू हो चूका है। सावन में सभी शिव भक्त भगवान शंकर को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए तरह तरह से पूजा उपासना करते हैं। हिन्दू धर्म को मानने वाले श्रद्धालु पूजा पाठ के बाद देवी-देवता की आरती पूरी श्रद्धा समर्पण के साथ करते हैं। आरती में ढ़ोल नगाड़े, घंटी, मंजिरे हाथों से बजने वाली ताली, एक स्वर के अलावा सबसे महत्वपूर्ण होती श्रद्धा, जिसके साथ आरती की जाती है।

 

सावन में अभिषेक और बेलपत्र इसलिए है भगवान शंकर को सबसे अधिक प्रिय

 

सावन मास में भगवान शंकर की पूजा, अभिषेक आदि क्रम करने के बाद पूरी श्रद्धा के साथ इस महाआरती का पाठ गायन के साथ करें। शिवजी प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी कर देते हैं।

।। शिवजी की आरती ।।

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा

 

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दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा

 

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ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा

 

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जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा
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