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सावन में अभिषेक और बेलपत्र इसलिए है भगवान शंकर को सबसे अधिक प्रिय

locationभोपालPublished: Jul 17, 2019 01:40:25 pm

Submitted by:

Shyam

Sawan 2019 – Here’s why Lord Shiva likes Bel Patra : जानें सावन में भगवान शिव को क्यों प्रिय है बेलपत्र

Sawan 2019 : Heres why Lord Shiva likes Bel Patra

सावन में अभिषेक और बेलपत्र इसलिए है भगवान शंकर को सबसे अधिक प्रिय

सावन मास में भगवान शंकर का पूजन वैसे तो हर कोई अलग-अलग पदार्थों से करते हैं। लेकिन कहा जाता है कि इस पवित्र में मास में विशेष रूप से जलाभिषेक करने के बाद शिव जी को बेलपत्र चढ़ाना ही चाहिए। आज से सावन मास की शुरूवात हो चूकी है। जानें बेलपत्र और अभिषेक का महत्व।

सावन में अभिषेक का महत्व

महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी इस दशा को देखकर सभी देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में जो चीजें उपलब्ध होती है, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं, और शिव जी अभिषेक से ठीक भी हो गये। तब से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है, जिनसे शीतलता बनी रहे।

 

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सावन में बेलपत्र का महत्व

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भक्त बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।

 

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बेलपत्र ने दिलाया वरदान

बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है। बेलपत्र के महत्व में एक पौराणिक कथा के अनुसार एक भील डाकू अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटा करता था। सावन महीने में एक दिन डाकू जंगल में राहगीरों को लूटने के इरादे से गया। पूरा दिन-रात बीत जाने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से डाकू काफी परेशान हो गया। इस दौरान डाकू जिस पेड़ पर छुपकर बैठा था, वह बेल का पेड़ था और परेशान डाकू पेड़ से पत्तों को तोड़कर नीचे फेंक रहा था। डाकू के सामने अचानक महादेव प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा। अचानक हुई शिव कृपा जानने पर डाकू को पता चला कि जहां वह बेलपत्र फेंक रहा था उसके नीचे शिवलिंग स्थापित है। इसके बाद से बेलपत्र का महत्व और बढ़ गया।

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