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कल्याण का मार्ग प्रदर्शित करते हैं शनि भगवान, करें आराधना होगी मोक्ष की प्राप्ति

यह माना जाता है शनिदेव परम कल्याणकर्ता न्यायाधीश और जीव क हितैषी ग्रह हैं।

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पुराणों के मुताबिक शनिदेव का स्वरुप इस प्रकार है सिर पर स्वर्णमुकुट, गले में माला तथा शरीर पर नीले रंग के वस्त्र और शरीर भी इंद्रनीलमणि के समान है। शनि की सवारी गिद्ध माना जाता है। हाथों में धनुष, बाण, त्रिशूल धरण करते हैं शनि। शनि को 33 देवताओं में से एक भगवान सूर्य का पुत्र बताया जाता है। उनकी बहन देवी यमुना हैं। यमुना के नाम पर ही एक नदी का नाम यमुना रखा गया है। जिस को भी शनि ग्रह अपनी कृपा द्रष्‍टि डालता है शुरूआती दौर में उसको पहले कष्‍टों से शनि भगवान तपाते हैं।

पुराण में कथा के माध्यम से बताया गया है कि, शनि तप करने के लिए एक मनुष्‍य को जंगल तक पंहुचा देते हैं परंतु यदि वह तप में मग्‍न रह कर मोह-माया में नहीं फंसता तो शनि उनकी सहायता करते हैं और सारे कष्‍टों को दूर करके प्रभु के दर्शन करा देते हैं। इसका उल्‍टा होने पर शनिदेव उन पर कुपित हो जाते हैं और समस्‍यायें खड़ी कर देते हैं। तब जीवन में अनंत कष्टों का आगमन हो जाता है।

कल्‍याणकारी हैं शनिदेव

यह माना जाता है शनिदेव परम कल्याणकर्ता न्यायाधीश और जीव के हितैषी ग्रह हैं। कहते हैं जन्म जन्मान्तर तपस्या के बाद मोह और माया से प्रभावित होकर जो लोग बुरे कर्म करने लगते हैं और तप पूर्ण नहीं कर पाते हैं, उनकी तपस्या को सफ़ल करने के लिए शनिदेव भावी जन्मों में पुन: तप करने की प्रेरणा और प्रोत्साहन देते हैं। शरीर में सभी नौ ग्रहों के तत्व मौजूद हैं। ग्रह और देव में फर्क होता है, लेकिन देवी या देवता ग्रहों के गृहपति माने गए हैं। इसीलिए प्राचीनकाल में सभी के कार्य नियुक्त कर दिए गए थे। द्रेष्काण कुन्डली मे जब शनि और चन्द्रमा एक दूसरे को देखते हैं तो व्‍यक्‍ति को उच्च कोटि का संत बना देते हैं।

ऐसा भी माना जाता है कि शनि पूर्व जन्म के तप को पूर्ण करने के लिए इंसान को ईश्‍वर की ओर प्रेरित करते हैं ताकि वर्तमान जन्म में उसकी तपस्या सफल हो जाए। शनि तप करने की प्रेरणा देते हैं। शनिदेव को ‌सबसे क्रूर देव माना जाता है। जिस कारण लोग इनसे भय खाते हैं। लेकिन अगर आप शनिदेव के बारे में अच्छे से जान लेंगे तो आप उनके अगाध भक्त बन जाएंगे।