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तंत्र से जुड़ी इन बातों को जानने के बाद आप भी बन सकते हैं तांत्रिक

आज हम आपको तंत्र से जुड़ी कुछ ऐसे ही तथ्य बताने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे

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Sunil Sharma

Jan 12, 2017

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आज के वैज्ञानिक युग में तंत्र को या तो पुरातन विद्या माना जाता है जो लुप्त हो चुकी है या फिर इसे काला जादू मान कर लोग इससे डरते हैं। शास्त्रों में तंत्र को विज्ञान मान कर इसका पूरा एक विधि-विधान बताया गया है जिसके आधार पर प्राकृतिक शक्तियां कार्य करती हैं। तंत्र के जानकारों के अनुसार इस विद्या का उदगम प्राचीन पुस्तकों में दिया गया है। आज हम आपको तंत्र से जुड़ी कुछ ऐसे ही तथ्य बताने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी नहीं सुने होंगे।

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(1) तंत्र का सबसे पहला उल्लेख अथर्ववेद में है। तंत्र का ज्ञान सबसे पहले भगवान शिव ने दिया था। उन्होंने ही विश्व कल्याण हेतु तंत्र, मंत्र तथा यंत्रों की रचना की थी। आगे चल कर तंत्र को तीन भागों आगम, यामल तथा तंत्र में बांट दिया गया। कालान्तर में तंत्र में वाममार्ग, दक्षिण मार्ग तथा मध्यम मार्ग भी प्रचलित हो गए।

(2) तंत्र में स्वयं के शरीर सहित संसार के हर जीव तथा वस्तु को एक जीवित और सक्षम इकाई माना जाता है, जिसमें प्राण ऊर्जा होती है। जीवों तथा वस्तुओं में मौजूद इस प्राण ऊर्जा को तंत्र के नियमों के आधार पर चलते हुए अपने व्यक्तिगत उपयोग हेतु काम में लिया जाता है।

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(3) तंत्र वास्तव में मन, योग तथा मंत्र के सम्मिलन से कार्य करता है। इसमें मन की एकाग्रता के साथ-साथ लयात्मक मंत्रों का उपयोग होता है। साधक अपने इष्टदेव से जुड़े मंत्रों के जाप तथा मन की एकाग्रता से तंत्र द्वारा मनचाहे कार्य करवाने की क्षमता विकसित कर लेता है।

(4) तंत्र साधना में मोहनं, स्तंभनं, विद्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण तथा मारण नामक छह षटकर्म बताए गए हैं। इन षटकर्मों का उपयोग कभी भी किसी के अहित के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इस षटकर्मों के अलावा योग विद्या, रसायन शास्त्र को भी तंत्र विज्ञान का ही एक भाग माना गया है।

(5) बहुत से लोग तंत्र का प्रयोग सिद्धियां प्राप्त कर शक्तिशाली बनने के लिए करते हैं। इसके लिए कई लोग यक्ष साधना, भूत-प्रेत वश में करना, जिन्न वश में करना जैसे प्रयोग भी करते हैं जो गलत है। बिना उचित मार्गदर्शन के तंत्र प्रयोग करने वाले लोग या तो मानसिक विभ्रम के चलते अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं या फिर निराश हो जाते हैं।

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