31 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मेडिकल स्टूडेंट आसानी से कर सकेंगे मानव संरचना की पढ़ाई

.जिला मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस छात्रों को अब मानव शरीर के चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान और शोध में बाधा नहीं आएगी, क्योंकि मेडिकल कॉलेज को भरतपुर अपना घर संस्था ने दो देहदान यानी कैडेवर दान किए हैं। कॉलेज के एटोनोमी विभाग ने इन कैडेवरों को कैमिकल युक्त टैंक में डुबोकर रख दिए हैं।

2 min read
Google source verification
मेडिकल स्टूडेंट आसानी से कर सकेंगे मानव संरचना की पढ़ाई Medical students will be able to study human anatomy easily

-भरतपुर अपना घर संस्था से कॉलेज को मिले दो कैडेवर

-एनोटॉमी विभाग ने केमिकल युक्त टैंक में कैडेवरों को रखा सुरक्षित

धौलपुर.जिला मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस छात्रों को अब मानव शरीर के चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान और शोध में बाधा नहीं आएगी, क्योंकि मेडिकल कॉलेज को भरतपुर अपना घर संस्था ने दो देहदान यानी कैडेवर दान किए हैं। कॉलेज के एटोनोमी विभाग ने इन कैडेवरों को कैमिकल युक्त टैंक में डुबोकर रख दिए हैं।

जागरूकता की कमी के कारण लोग देहदान करने से पीछे रह रहे हैं। इस वजह से मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंटों को मानव शरीर की संरचना, चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान और शोध में बाधा उत्पन्न होती है, जो प्रबंधन के लिए एक प्रखुख समस्या है, लेकिन गत दिनों हेल्थ सचिव के धोलपुर आगमन पर यह समस्या उनके सामने रखने पर उन्होंने भरतपुर अपना घर संस्था से मृत मानव देह यानी कैडेवर लाने का सुझाव दिया। जिसके बाद कॉलेज प्राचार्य दीपक दुबे के मार्गदर्शन में भरतपुर से कैडेवर लाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। जिसमें प्रमुख चिकित्सा अधिकारी विजय सिंह ने सहयोग करते एम्बुलेंस की व्यवस्था कराई। जिसके बाद एनोटॉमी विभागाध्यक्ष संतोष गुप्ता की अगुआई में टीम भरतपुर अपना घर से दो कैडेवर प्राप्त कर धौलपुर मेडिकल कॉलेज की एनोटॉमी विभाग को सुपुर्द किए। जिसके बाद इन कैडेवरों को केमिकल युक्त टैंकों में रखा गया है। अब इन्हें अगस्त माह में नए बैंच में स्टूडेंटों के अध्ययन के लिए इनका इस्तेमाल किया जाएगा।

अभी तक पांच ने देहदान का लिया संकल्प

समय के साथ-साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए देहदान को लेकर लोगों में भी जागरूकता आ रही है। मेडिकल कॉलेज से मिली जानकारी के अनुसार अभी तक एनोटॉमी विभाग में पांच दानवीर अभी तक अपने देहदान कर संकल्प पत्र भर चुके हैं। जो लोगों के लिए उदाहरण के साथ मिशाला बन रहे हैं। इन दानवीरों में एक दंपति भी शामिल हैं।

देहदान की कमी गंभीर समस्या

मेडिकल कॉलेजों में देहदान की कमी एक गंभीर समस्या है, जिससे चिकित्सा शिक्षा अनुसंधान और शोध में बाधा आती है। मेडिकल छात्रों को मानव शरीर की संरचना सीखने के लिए मृत शरीरों की आवश्यकता होती है, लेकिन देहदान की कमी के कारण यह सुनिश्चत करना मुश्किल होता है। देहदान से छात्रों को मानव शरीर की संरचना और कार्यप्रणाली को समझने में मदद मिलती है। इससे उन्हें व्यावहारिक प्रशिक्षण मिलता है और वे भविष्य में बेहतर डॉक्ट बन पाते हैं। धौलपुर मेडिकल कॉलेज में अभी 300 विद्यार्थी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं।

भरतपुर के अपना घर संस्था से दो कैडेवर लाए गए हैं। जिन्हें अगस्त माह से प्रारंभ होने वाले नए बैचों में इस्तेमाल किया जाएगा।

-संतोष गुप्ता, एनोटॉमी विभागाध्यक्ष एवं सहायक आचार्य