धौलपुर शहर देखते-देखते चिकित्सा का हब बनता जा रहा है। जहां हर गली चौराहा और बाजारों में चमचमाते निजी अस्पताल संचालित होते आसानी से देखे जा सकते हैं। लेकिन यह अस्पताल सिर्फ आर्टिफिशियल के रूप में कार्य कर रहे हैं। क्योंकि विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित विशेष इलाज के बड़े-बड़े बोर्ड टांगने वाले यह लूट के केन्द्र सरकार के तय मानकों के हिसाब से संचालित नहीं हो रहे। इन अस्पतालों में जहां अनट्रेंड स्टॉफ कार्य करता है तो रजिस्ट्रेशन से लेकर फायर एनओसी भी इनके पास नहीं होती, जबकि चिकित्सा केन्द्रों में फायर एनओसी हर कीमत पर जरूरी होती है।
केवल 15 निजी अस्पतालों पर फायर एनओसी शहर से लेकर जिले भर में लगभग 200 के आसपास निजी छोटे और बड़े चिकित्सा केन्द्र संचालित हो रहे हैं। जिनके स्वास्थ्य विभाग में पंजीयन की बात करें तो केवल 42 निजी अस्पतालों ने ही स्वास्थ्य विभाग में पंजीयन करा रखा है, जबकि शेष अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। अब इन्हीं अस्पतालों के फायर एनओसी लेने की बात करेंं तो केवल 15 निजी अस्पतालों ने नगर परिषद से फायर एनओसी ले रखी है, जबकि शहर में बड़े-बड़े निजी अस्पताल बगैर फायर एनओसी के संचालित हो रहे हैं। अब अगर ऐसी स्थिति मेें कोई अप्रिय घटना होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? फिर भी स्वास्थ्य विभाग इन अस्पतालों पर कार्रवाई से बचता आ रहा है।
फायर एनओसी क्या है फायर एनओसी एक दस्तावेज है जो बताता है कि अस्पताल में आग से बचाव के लिए उचित इंतजाम हैं। जैसे अग्निशमन यंत्र, अलार्म और आपातकालीन निकास। फायर एनओसी यह सुनिश्चित करता है कि अस्पताल में आग लगने की स्थिति में लोगों की सुरक्षा हो सके। ऐसी स्थिति में अगर किसी अस्पताल या किसी बिल्डिंग में आगजनी की घटना होती है तो उस पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।
निजी अस्पतालों में अप्रशिक्षित कर्मचारी किसी भी संस्थान के कर्मचारियों के लिए आग और अन्य आपदा की स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने प्रशिक्षण अनिवार्य किया हैं। इसके बावजूद अस्पताल या अन्य संस्थान इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। अग्निशमन विभाग की ओर से भी इस बारे में कभी पहल नहीं की जाती। जिससे बिना अग्निशमन मानकों के निजी अस्पतालों का संचालन हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग का निजी अस्पतालों को बिना जांच पड़ताल किए कागजों में संचालन कर देता है। निरीक्षण से दूरी बना लेते है।
अग्नि सुरक्षा के यह मानक :: न्यूनतम पांच-पांच फीट के दो दरवाजे होने चाहिए। :: ऊपरी मंजिल पर ओवरहेड टैंक हो, जो पानी से भरा हो। :: प्रत्येक मंजिल पर हौज रील का इंतजाम हो।
:: जगह-जगह अग्निशमन यंत्र लगे हों। :: आपातकालीन संकेतक और फायर अलार्म हों। :: भवन के बेसमेंट में अस्पताल का संचालन न हो। :: अग्निशमन विभाग की एनओसी ली हो। :: अग्निशमन, पुलिस और आपातकालीन नंबरों का चस्पा हो।
जिन अस्पतालों पर फायर एनओसी नहीं है उन पर कार्रवाई की जाती है। साथ ही उन्हें नोटिस जारी कर फायर एनओसी के लिए भी कहा जाता है। जल्द ही ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई की जाएगी।
-वृषभान सिंह, सहायक अग्निशमन अधिकारी नगर परिषद धौलपुर