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बाबू महाराज के जयकारों से गूंज उठा मंदिर परिसर, दिनभर रही श्रद्धालुओं की भीड़

dholpur, बाड़ी. क्षेत्र में बाबू महाराज मंदिर पर शनिवार व रविवार को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। रविवार को सुबह से ही मंदिर परिसर क्षेत्र में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। श्रद्धालु बाबू महाराज के जयकारों के साथ पहुंच रहे हैं।

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 The temple complex echoed with the cheers of Babu Maharaj, there was a crowd of devotees throughout the day.

बाबू महाराज के जयकारों से गूंज उठा मंदिर परिसर, दिनभर रही श्रद्धालुओं की भीड़

dholpur, बाड़ी. क्षेत्र में बाबू महाराज मंदिर पर शनिवार व रविवार को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। रविवार को सुबह से ही मंदिर परिसर क्षेत्र में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। श्रद्धालु बाबू महाराज के जयकारों के साथ पहुंच रहे हैं। इस मौके पर मेले का भी शुभारंभ हुआ। यहां पर क्षेत्र के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्यों से श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचे। वहीं, मंदिर पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने कावड़ चढ़ाई। गौरतलब रहे कि बाड़ी कस्बे से 25 किलोमीटर की दूरी पर चंबल किनारे डांग इलाके में स्थापित बाबू महाराज के स्थल पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं।

यहां पर रास्ते में जाम जैसी स्थिति भी बन जाती है। बाबू महाराज देवस्थान पर बूरा चढ़ाने की परंपरा है। जिसे लेकर आसपास के क्षेत्र समेत अन्य राज्यों से श्रद्धालु बाबू महाराज की थूम पर बूरा चढ़ाने के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से असाध्य दूर हो जाते हैं। बाबू महाराज मेल को लेकर बाबू महाराज मेला कमेटी पहले ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने को लेकर आशान्वित थी। जिसके चलते कमेटी की ओर से जगह.जगह प्याऊ, ठहरने एवं कुछ स्थानों पर भोजन की व्यवस्था की थी जिससे श्रद्धालु परेशान न हो।

जयकारे लगाते पहुंचे श्रद्धालु, चढ़ाई कावड़

बाबू महाराज के मेले के दौरान कई श्रद्धालु ऐसे थे जो दो या तीन दिन पहले ही पैदल चल बाबू के देव स्थल पर पहुंच गए थे। वहीं, कई गंगाजल से भरी कावड़ को लेकर बाबू महाराज पर पहुंचे और जल चढ़ाया। वहीं कई ऐसे भी श्रद्धालु थे जो की कनक दंडवत देते हुए यहां पहुंचे और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त किया। यहां दिनभर भीड़ रही। कमेटी के सदस्य में मास्टर भगवान सिंह गुर्जर, रामदयाल पटवारी, शीशराम समेत अनेक सदस्यों का कहना है कि बाबू महाराज की मान्यता राजस्थान में लोक देवता के रूप में अलग ही है। गुर्जर समाज में इनकी विशेष मान्यता है।

सोने का गुर्जा होते हुए पहुंचे श्रद्धालु

बाबू के देवस्थान पर श्रद्धालुओं के लिए प्रशासन की ओर से रास्ता खानपुर तालाब शाही से सोने का गुर्जा होते हुए तथा बजरंग चौराहे से सात क्यारी होते हुए बनाया गया था। जहां पर रास्ते में जगह-जगह पुलिसकर्मियों की तैनाती रही। वहीं छोटी-छोटी दुकान भी तकरीबन 5 किलोमीटर पहले ही लगना शुरू हो गई थी। साथ हि इस बार सोने का गुर्जा तिराहे से लेकर बाबू महाराज मोड़ तक सडक़ चौड़ी होने से श्रद्दालुओं को आवागमन में सुविधा रही। लेकिन मोड से बाबू महाराज मंदिर कुदिन्ना थूम तक लगभग 6 किलोमीटर का सफर एकल सडक़ होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। यहां दिनभर जाम रहा।

आस्था का केंद्र बाबू महाराज

वैसे तो बाबू महाराज के श्रद्धालु हर समाज के लोगों में देखने को मिलती है लेकिन गुर्जर समाज में विशेष कर बाबू महाराज को पूजा किया जाता है। बाबू महाराज की दूज वाले दिन समाज के अपने पशुओं के दूध को नहीं बेचते। वे दूध की खीर बनाकर भक्तों में बांट देते हैं।