
वीरप्पन के सत्यमंगलम जंगल जैसा ही है जगन के लिए डांग का बीहड़, भोजन-पानी की सुविधा से छिपना है आसान
वीरप्पन के सत्यमंगलम जंगल जैसा ही है जगन के लिए डांग का बीहड़, भोजन-पानी की सुविधा से छिपना है आसान
- दस्युओं और अपराधियों की पनाहगाह है दुर्गम डांग
- कठिन टास्क है डांग के बीहड़ों में अपराधियों की तलाश
- छितरी आबादी और भूल-भुलैया रास्ते बड़ी मुसीबत
- पूर्व दस्यु जगन की तलाश में दिन-रात जुटी है जिला पुलिस
नितिन भाल
धौलपुर. कांटेदार झाडिय़ों और ऊंची-नीची पथरीली जमीन से घिरा दुर्गम डांग दस्युओं की सुरक्षित शरणस्थली रहा है। घना इतना कि छह फीट दूर खड़ा शख्स भी दिखाई न दे। वहां बसे लोग या लम्बे वक्त से आ-जा रहे लोगों को ही डांग को समझने में कुछ हद तक सहूलियत होती है। स्थानांतरित होते रहने वाले पुलिसकर्मियों को तो हर बार यह क्षेत्र नया सा ही लगता है। दुर्गमतम इस इलाके में अंदरूनी बसावट भी है। घने बियाबान में भी गांव, पुरा, मजरे बसे हुए हैं। इन तक पहुंचना खासी टेड़ी खीर है। दुर्गमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले करीब 15 दिन से जिला पुलिस यहां पूर्व दस्यु जगन की तलाश में कॉम्बिंग कर रही है, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लग पाया है। जिस प्रकार कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन के लिए तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में फैला सत्यमंगलम का जंगल था, ठीक उसी तरह जगन के लिए डांग का इलाका है। यहां के हर पेड़ और दर्रे से वह भलीभांति परिचित है। ऐसे में डांग में जगन को पकडऩा मुश्किलों भरा सफर है।
यह हैं कुछ दुर्गम इलाके
डांग में चचोखर की घाटी, सोने का गुर्जा के पास के जंगल, सोरियापुरा का क्षेत्र, मनाखुरी, छज्जेवाई, डाबर, कालीतीर और कुदिन्ना के पास का जंगल बेहद दुर्गम इलाके हैं। यहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं है। जबकि दस्यु और स्थानीय निवासी यहां के चप्पे-चप्पे से वाकिफ हैं। चंबल के पास बसे करुआपुरा और मुतावली क्षेत्र भी दुर्गमतम इलाकों में शामिल हैं।
डांग में हैं पानी के स्रोत
दुर्गम डांग बाहर से देखने में भले ही उजाड़ और बियाबान लगे लेकिन, इसके अंदरूनी हिस्सों में पानी के प्राकृतिक स्रोत हैं। ऐसे स्रोत जिनका पानी मई-जून की गर्मी में भी नहीं सूखता। पिछले साल डकैत केशव गुर्जर को खोजते वक्त सात क्यारी और उसके आसपास कई ऐसे जलस्रोत पुलिस को मिले थे। इन जलस्रोतों के सहारे दस्यु व अन्य अपराधी आराम से वक्त काट लेते हैं।
खिकारियों की आड़ में पहुंचती रसद
डांग के अंदर जंगलों में कई लोगों द्वारा भेड़-बकरी पालन के लिए खिरकारियां (बाड़ा) बनाई हुई हैं। इन खिरकारियों तक दस्यु या बदमाशों की पहुंच होती है। अक्स्र आरोप लगते हैं कि इन खिरकारियों के जरिए ही इन लोगों तक रसद पहुंचती है। कई बार पुलिस ने इन खिरकारियों से अपराधियों को गिरफ्तार भी किया है।
मध्यप्रदेश भी अछूता नहीं
डांग का इलाका मध्यप्रदेश को भी छूता है। ऐसे में अपराधी अन्तरराज्यीय सीमा का भरपूर फायदा उठाते हैं। वारदात के बाद ये डांग में छिप जाते हैं। पुलिस का ज्यादा जोर पड़ता है तो मध्य प्रदेश में फरार हो जाते हैं। पुलिस की अपनी सीमा होती है लेकिन, अपराधियों के लिए खुला मैदान होता है।
चंबल की भी पूरी जानकारी
जगन समेत डांग के डकैतों और अन्य अपराधियों को चंबल की भी पूरी जानकारी है। दरअसल चंबल कहीं बेहद गहरी और कहीं उथली है। ऐसे में अपराधी उथले स्थानों पर पैदल ही चंबल पार कर जाते हैं। वहीं, जानकारी नहीं होने के अभाव में पुलिस किनारे पर ही खड़ी रह जाती है।
दूर से दिख जाती है पुलिस
डांग के निर्जन इलाके में पुलिस की मूवमेंट दूर से ही दिख जाती है। शांत डांग में पुलिस की गाडिय़ों की आवाज कई किलोमीटर दूर से सुनाई दे जाती है। वहीं किसी बीहड़ टीले पर चढ़ जाएं तो काफी दूर तक दिखाई देता हैं। ऐसे में अक्सर पुलिस डांग में अपनी कार्रवाई को गुप्त नहीं रख पाती है।
अब तक नहीं मिला गोली लगा केशव
पिछले साल डकैत केशव गुर्जर की पुलिस के साथ मुठभेड़ हुई। इसमें पुलिस ने दावा किया था कि उसके पैर में गोली लगी है और वह डांग में भाग गया है। इस मुठभेड़ के बाद पुलिस ने करीब एक महीने तक डांग इलाके में कॉम्बिंग की लेकिन, घायल दस्यु का कोई पता नहीं चला।
इनका कहना है
जगन की तलाश जारी है। डांग के अलावा मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी उसकी तलाश की जा रही है। उस पर चारों ओर से पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। जल्द वह गिरफ्तार हो जाएगा।
- शिवराज मीणा, पुलिस अधीक्षक, धौलपुर
Published on:
04 Feb 2022 09:30 pm
बड़ी खबरें
View Allधौलपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
