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HEALTH TIPS : आपका बर्तन कहीं आपको बीमार तो नहीं कर रहा

locationजयपुरPublished: Jun 23, 2020 12:26:57 am

Submitted by:

Ramesh Singh

पुराने समय में घरों में सबसे अधिक चांदी, पीतल और लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल होता था जिसमें मौजूद माइक्रो एलीमेंट (सूक्ष्म तत्व) खाने के साथ शरीर के भीतर जाकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करते थे। ये बर्तन जिन तत्वों से बनते हैं वो जमीन के भीतर से निकालकर तैयार किए जाते हैं जिनमें सभी तरह के गुण होते हैं जो शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं।

HEALTH TIPS

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बढ़ाते हैं रोग प्रतिरोधकता
चांदी भी पूरी तरह शुद्ध होती है और वो जिन तत्वों से बनी होती है उसमें खाना खाने से उसके तत्व शरीर के भीतर सीमित मात्रा में पहुुंचते हैं। इन तत्वों से शरीर की हड्डियों से लेकर मांसपेशी और रोग प्रतिरोधक क्षमता को संतुलित रखता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के खिलाफ कोई तत्व बनता है तो चांदी के माइक्रो एलीमेंट उस तत्व को रोकने या खत्म करने का काम करते हैं। चांदी के बर्तन में खाना खाने से रक्तसंचार की गति भी संतुलित रहती है।

खाना स्वादिष्ट होने के साथ जल्दी खराब नहीं होता
पीतल कॉपर और कांसा का मिश्रण होता है। पुराने समय में पीतल के बर्तनों में जो खाना बनता था वो स्वादिष्ट होने के साथ जल्दी खराब नहीं होता था। क्योंकि इस बर्तन में तेज आग पर जब खाना बनता है तो उसके कुछ कण खाने में जाते हैं जो उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखने का काम करते हैं। पीतल के लोटे में पानी पीने और खाना खाने से कोई नुकसान नहीं होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढऩे के साथ व्यक्ति का मन मस्तिष्क शांत और खुश रहता है। पीतल के बर्तन में खाना खाने से पाचन तंत्र भी ठीक रहता है। पुराने समय में इसे सम्मान का बर्तन भी कहा जाता था और पूजा पाठ से लेकर किसी बड़े आयोजन में इसी का इस्तेमाल होता है क्योंकि इसे बहुत शुद्ध और पवित्र माना जाता है।

पानी को शीतल बनाने के साथ साफ करता
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर के भीतर पैदा होने वाले दूषित तत्व यूरिन और पसीने से बाहर निकलता है। इस धातु में इस तरह के तत्व होते हैं जो पानी को शीतल बनाने के साथ उसे साफ करने का काम भी करता है। सुबह उठते ही तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से शरीर में स्फूर्ति महसूस होती है। नियमित ऐसा करने से ब्लड प्रशर नियंत्रित रहता है और पेट संबंधी विकार भी होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
शरीर में खून और आयरन की कमी नहीं होती
लोहे के बर्तन में बना खाना खाने से शरीर में खून और आयरन की कमी नहीं होती है। लोहे में पर्याप्त मात्रा में आयरन की मात्रा होती है जो खाने में मिलकर संतुलित रूप से शरीर में जाती है। जिन्हे शरीर में खून और आयरन की कमी है विशेषकर महिलाएं उन्हें लोहे के बर्तन में बना खाना खाने से जल्द राहत मिलेगी। खासकर सब्जी लोहे की कढ़ाई में बनाई जाए तो व्यक्ति को जरूरी पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में मिल जाते हैं।

मिट्टी का बर्तन : पोषक तत्वों को नुकसान नहीं
मिट्टी के बर्तन में बना खाना उसके पोषक तत्वों को बिलकुल नुकसान नहीं करता है। मिट्टी की सुराही का पानी प्यास बुझाने की क्षमता रखता है क्योंकि उसका पानी शीतल होता है और शरीर के लिए जरूरी तत्व पानी में मिलकर पाचन को ठीक रखता है। पुराने समय में ऋषि मुनी मिट्टी के बर्तनों का ही इस्तेमाल करते थे क्योंकि इन तेज आंच पर पके इन बर्तनों से संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता है। इसमें खाने से शरीर के भीतर कोई हानिकारक तत्व भीतर नहीं जाते हैं।

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