
दीपोत्सव: यहां हथियार की धार पर नृत्य करते हैं ग्वाल
डिंडोरी. जिला मुख्यालय से महज सत्रह -अठारह किलोमीटर दूर शहडोल रोड पर कला पडरिया गांव में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के दौरान गांव भर के सजे धजे ग्वाल रीना -शैला गीत की धुन पर फरसा रूपी हथियार की धार पर नृत्य करते हैं।जिसे दीपावली कि रात को पूजा जाता है। इसके बाद इसका उपयोग उत्सव मनाने में किया जाता है। इस दौरान वर्षों से चली आ रही इस परंपरा को देखने पहुँचे ग्रामीण भी ग्वालों के साँथ हो झूमने गाने लगते हैं।मौके पर मौजूद ग्रामीणों की माने तो गोवर्धन की पूजा वाले दिन ग्रामीण अपने पशुधन को सुंदर और आकर्षक तरीके से सजाते हैं।फिर विधि विधान से उनका पूजन अर्चन किया जाता है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि उत्सव में शामिल ग्वाले व्रत भी रखते हैं, और पूजन पश्चात तैयार होकर ग्वालों को गायों के छोटे बछड़ों के चौपायों के बीच से होकर गुजरना होता है। इस तरह चारों पैर के बीच से होकर गुजरने से सुख ,शान्ति और समृद्धि आती है।
बेखौफ करते हैं नृत्य
गांव के बुजुर्गों के मुताबिक यह परंपरा वह वर्षों से देखते आ रहे हैं,ऐसे में उनका दायित्व बनता है कि वह वर्षों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन करते रहे।गांव का युवा वर्ग भी पूरे जोशो खरोश के साँथ इस दिन परंपराओं का निर्वहन करते हुये विधि विधान से पठन पूजन कर इस उत्सव में शरीक होता है। स्थानीय जनो की माने तो गोवर्धन पूजा से पूर्व ही ग्रामीण फरशा रूपी हथियारों में धार लगाने लगते है।फिर उत्सव वाले दिन इन्हीं धारदार हथियारों पर ग्वाल बेखौफ हो एक एक कर रीना -शैला गीत की धुन पर नाचते -थिरकते हैं।
जुटता है जनसमूह
स्थानीयजन तो यह भी बताते हैं कि गांव की इस परंपरा के चर्चे अब गांव से निकलकर बाहर भी होने लगे हैं।लिहाजा इस परंपरा को अपनी खुली आंखों से देखने दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो का हुजूम लगने लगा है। जो देखते ही देखते यह हुजूम एक विशाल जनसमूह में तब्दील हो जाता है और फिर इसके बाद जो नृत्य शुरू होता है वह सभी के दिलो दिमाग में छा जाता है।
Published on:
30 Oct 2019 06:03 pm
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