अफ्रीका में पिछले 10 सालों में (2010-20) में बच्चों में HIV संक्रमण की दर में 43 प्रतिशत की कमी आई थी। ऐसा एंटीरेट्रोवायरल (ARV) थेरपी की वजह से हुआ था, लेकिन अब अगर इन्हें दवा और थेरपी सही समय पर नहीं मिलती है तो आने वाले 6 महीनों में मोजाम्बिक में 37 फीसदी मरीज बढ़ सकते हैं। वहीं मलावी और जिम्बॉब्वे में ये आंकड़ा 78-78 फीसदी जा सकता है और यूगांडा में इन सबसे ज्यादा 104 फीसदी बच्चे HIV संक्रमित हो सकते हैं।
WHO और UNAIDS की स्टडी में बताया गया है कि साल 2018 में सब-सहारन अफ्रीका में 2.57 करोड़ लोग HIV संक्रमित रहे थे। जिनमें से 64 फीसदी एंटीरेट्रोवायरस (ARV) थेरपी की वजह से जिंदा हैं। लेकिन महामारी फैलने के बाद इन इलाकों में स्वास्थ्य सिस्टम बेहद खराब हो चुका है। HIV क्लीनिक्स पर एंटीरेट्रोवायरस की सप्लाई नहीं हो पा रहे हैं। जिस वजह से एड्स के मरीज अपनी दवा की खुराक को मिस कर दे रहे हैं।
इनके के लिए भी खतरनाक है कोरोना वायरस
WHO ने अपनी इस स्टडी में बताया है कि कोरोना वायरस एड्स, टीबी, मलेरिया जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए कितना खतरनाक है। ऐसी मरीज भले ही कोरोना संकमित ना हो लेकिन वो किसी न किसी तरीके से ज्यादा परेशानी में आ सकते हैं।
WHO के महानिदेशक डॉ. टड्रोस अधनोम घेब्रेसस ने दुख जाहिर किया कि यह रिपोर्ट एक अजीब सी स्थिति की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अफ्रीका में एड्स से ग्रसित 5 लाख मरीजों की मौत होती है तो यह हमें फिर से इतिहास में वापस ले जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमें जागना होगा। ना केवल कोरोना बल्कि इसकी वजह से अन्य बीमारियों से भी ग्रसित होने वाले मरीजों को बचाना होगा। WHO के महानिदेशक डॉ. टड्रोस अधनोम घेब्रेसस ने पूरी दुनिया की कंपनियों और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोगों को एड्स से संबंधित टेस्टिंग किट्स और दवाओं की मात्रा बढ़ाने को कहा। साथ ही अफ्रीका में लोगों की मदद करने पर भी जोर दिया।