
GPS in neurosurgery
न्यूरो सर्जरी में नई तकनीक जीपीएस क्या है?
जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) तकनीक दिमाग से जुड़ी सर्जरी में भी मददगार है। इस नेवीगेशन सिस्टम की मदद से डॉक्टर दिमाग की संरचनाओं तक आसानी से पहुंचकर आसपास के ऊतकों को बिना नुकसान पहुंचाए सर्जरी कर सकते हैं। इससे खोपड़ी और मस्तिष्क के अंदर तक आसानी से देख सकते हैं, ताकि गहराई में स्थित ट्यूमर की भी पहचान हो सके। इससे विशेषज्ञ सफलतापूर्वक पूरे ट्यूमर को निकाल लेते हैं और आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान नहीं होता। भारत में भी डॉक्टर इस तकनीक का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह तकनीक किस तरह काम करती है?
यह तकनीक जीपीएस की तरह ही है। एक विशेष वर्कस्टेशन में जब एमआरआई से प्राप्त सूचनाएं डाल दी जाती हैं तो इसका सिस्टम नाक और भौंहों जैसे बाहरी चिन्ह व एमआरआई इमेज को ऑपरेटिंग कक्ष में मौजूद मरीज से मैच कर डाटा के दो सैट आपस में मिलाता है। इसके बाद रेफ्रेंस पॉइंट्स और ऑप्टिकल डिटेक्टर जीपीएस त्रिकोणीय सिद्धांत पर काम करते हैं। इससे डॉक्टर को एक पॉइंटर से यह पता लगाने में सहायता मिलती है कि एक निश्चित समय पर कहां काम करना है। इससे सर्जन को पूरा सिर साफ करने के बजाए बिल्कुल सही व निश्चित जगह कट लगाने में सहायता मिलती है और वे सर्जरी के दौरान उसी स्थान पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं। इसे न्यूरोनेवीगेशन कहा जाता है। मस्तिष्क के ट्यूमर के मामले में सर्जिकल मैनेजमेंट के लिए यह काफी मददगार विकल्प बन गया है।
जीपीएस तकनीक के क्या फायदे हैं?
आमतौर पर सिर से जुड़ी ज्यादातर सर्जरी में सिर के बाल हटाने की जरूरत होती है लेकिन इस तकनीक में सिर के बाल साफ नहीं करने पड़ते। ट्यूमर के बिल्कुल ऊपर एक छेद करना होता है। इससे सर्जरी के बाद होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। स्पेशल एमआरआई के जरिए ब्रेन के उस खास हिस्से पर निशान लगा दिया जाता जिसे ऑपरेशन के दौरान नुकसान होने से बचाया जा सके। सिर के अंदर की संरचना को बारीकी से देख सकते हैं।
- डॉ. आदित्य गुप्ता
डायरेक्टर, न्यूरोसर्जरी, अग्रिम इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस, आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम
Published on:
09 Dec 2017 02:24 pm
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