अपने घुटनों को स्वस्थ रखने के लिए आपको सही तरीके से उठना-बैठना होगा, विशेष रूप से कार्यस्थल पर। आपको अपनी कुर्सी पर काफी ध्यान देना होगा। अगर आपकी कुर्सी बहुत नीची है तो घुटने हमेशा मुड़े रहते हैं, जो घुटनों के लिए अच्छा नहीं है।
वजन कम करने और अनावश्यक चर्बी को घटाने के लिए जीरे का नियमित करें सेवन
जितना ज्यादा वजन होगा घुटनों पर बोझ भी उतना ही पड़ेगा और उनकी हालत उतनी ही तेजी से खराब होगी। अगर किसी ट्रक के टायरों को अधिकतम एक टन वजन उठाने के लिए डिजाइन किया गया है तो जाहिर है कि दो टन का वजन डालने पर वह खराब हो जाएंगे।
नियमित रूप से 30 मिनट की सैर करना दिल की बीमारियों में फायदेमंद
कार्टिलेज या जॉइंट की लाइनिंग की स्थिति भी इससे कुछ अलग नहीं होती है। शरीर का अतिरिक्त वजन ढोने के दबाव और तनाव से घुटनों के जॉइंट पर असर पड़ता है और उनका घिसना या उनमें खराबी आना शुुरू हो जाता है। अगर 40 वर्ष की उम्र में आप अपने अतिरिक्त वजन को घटा लें तो 60 वर्ष तक की आयु में ओस्टियो आर्थराइटिस होने की आशंका कम होगी। आपके वजन में प्रति पोंड की कमी आपके घुटनों को करीब 4 पोंड की राहत देती है। यानी अगर आपने 5 पोंड वजन कम किया है तो इसका मतलब है कि आपके घुटनों पर से करीब 20 पोंड दबाव कम हो गया है।
घुटनों को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है। व्यायाम में भी तैराकी सबसे बेहतरीन तरीका है। अगर आपको तैरना पसंद नहीं है तो आप साइक्लिंग भी कर सकते हैं। शरीर में अतिरिक्त वसा कम करने और घुटनों के अनुकूल व्यायाम के तौर पर यह बेहतर तरीका है। इसके अलावा घुटनों व जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कुर्सी पर बैठकर टांगों को कुर्सी के बराबर लाने का प्रयास करें। दौडऩे, कूदने, ज्यादा प्रभाव वाला ऐरोबिक डांस करने व पालथी मारकर बैठने से घुटनों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।
डाइटिंग और मेहनत के बावजूद वजन कम नहीं होने के ये हो सकते हैं कारण, यहां पढ़ें
युवावस्था में खेल के दौरान घुटने या अस्थिबंध (एसीएल, पीसीएल) में लगी चोट भविष्य में आर्थराइटिस की वजह हो सकती है। घुटनों के जॉइंट को लिगामेंट मेनिस्कस और कार्टिलेज जैसे महत्वपूर्ण ढांचों की मदद से सुरक्षित रखा जाता है। एमआरआई, आर्थरोस्कोपी जैसी जांच व थैरेपैटिक मॉडल विकसित होने से इस बीमारी का इलाज और आर्थराइटिस की रोकथाम संभव है।
कई बीमारियों का संकेत हो सकती है खांसी, ऐसे करें घरेलु उपचार
एक सुकून भरा दिमाग और शांत चित्त घुटनों की समस्या रोकने में मदद कर सकता है। लंबे समय तक तनाव की स्थिति में रहने से हमारे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र कमजोर हो जाता है और इससे अन्य गंभीर समस्याओं के साथ ही घुटनों पर भी प्रभाव पड़ता है। व्यायाम, ध्यान और संगीत आपको शांत और तनाव मुक्त रखने में मदद कर सकते हैं। आर्थराइटिस की संभावना आयु के तीसरे और चौथे दशक में कदम रखने पर शुरू होती है। इसे बढ़ावा देने वाले कई कारणों को हम नियंत्रित कर सकते हैं।