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लक्षणों की सही समय पर पहचान कर न बनने दें अस्थमा रोग को गंभीर

locationजयपुरPublished: Jun 22, 2019 12:04:57 pm

Submitted by:

Jitendra Rangey

वातावरण में बढ़ते प्रदूषण और धूल मिट्टी ने अस्थमा को बेहद सामान्य बीमारी बना दिया है। आज के दौर में न केवल बड़ों बल्कि बच्चों और महिलाओं में भी इस रोग के मामले बढ़ गए हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार पिछले कुछ सालों में यह बीमारी घातक रोगों की श्रेणी में गिनी जाने लगी है।

Asthma

Asthma

यह है समस्या
अस्थमा एक तरह से एलर्जी का ही एक प्रकार है। इसमें कुछ कारणों से बार-बार सांस लेने में तकलीफ और खांसी की समस्या होती है। हालांकि हर उम्र और प्रकृति के व्यक्ति और समस्या की गंभीरता के अनुसार दौरे की प्रवृत्ति अलग-अलग हो सकती है। इससे मरीज दिन में एक दो बार या कई बार या हफ्ते में कुछ बार परेशान होता है। कुछ इतने परेशान हो जाते हैं कि दैनिक कार्य ही नहीं कर पाते।
अस्थमा अटैक
शुद्ध हवा को मुंह और नाक के जरिए फेफड़ों तक पहुंचाने वाली ब्रॉन्कियल ट्यूब में सूजन आने से सांस लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। अस्थमा अटैक के दौरान इन ट्यूब की लाइनिंग में सूजन बरकरार रहने से नलियां सिकुड़ जाती हैं और व्यक्ति को सांस लेने में बाधा आती है। लक्षणों का बार-बार सामना करने से मरीज को नींद न आने, दिनभर थकान और मन न लगने की शिकायत रहती है।
कारण
अस्थमा एक तरह से एलर्जी का ही रूप है। इसमें एलर्जी के कारणों के संपर्क में आने से अस्थमा अटैक आता है। इसके कई कारण हैं- इंडोर एलर्जन्स (घर में मौजूद धूल-मिट्टी के बारीक कण, पालतू के बाल, किटाणू) के अलावा घर के बाहर पोलन्स, हवा में मौजूद सूक्ष्म कण, धूम्रपान, तंबाकू चबाना, कैमिकल के संपर्क में आना शामिल हैं।
करें विशेषज्ञ से संपर्क
वैसे तो नियमित रूप से दवाएं लेने और सावधानियों को बरतकर इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन कई बार अचानक ही मरीज को अस्थमा अटैक आ सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी होता है।
प्रमुख जांचें हैं जरूरी
अस्थमा के लक्षणों और मरीज की हालत देखकर रोग की पुष्टि करने के लिए विशेषज्ञ कई तरह की जांचें प्रमुख रूप से करते हैं। जानते हैं इनके बारे में-
स्पाइरोमेट्री : यह एक सामान्य टैस्ट है, जिससे सांस लेने की गति की पहचान की जाती है।
चेस्ट एक्सरे : संक्रमित फेफड़ों की स्थिति का पता लगाने के लिए चेस्ट एक्सरे करना जरूरी होता है। इसमें फेफड़ों में अस्थमा ही नहीं बल्कि अन्य समस्याओं का भी पता करते हैं।
पीक फ्लो : यह विशेष प्रकार का टैस्ट होता है। इसमें यह पता लगाते हैं कि मरीज अपने फेफड़ों से सांस को सामान्य तरीके से ले पा रहा है और छोड़ पा रहा है या नहीं। इस परीक्षण के दौरान मरीज को तेजी से सांस लेने की सलाह देते हैं।
शारीरिक परीक्षण : मरीज के स्वास्थ को गंभीरता से देखते हैं। खासतौर पर मरीज के सीने पर घरघराहट की आवाज को महसूस करते हैं। अस्थमा की गंभीरता का पता चलता है।
एलर्जी टैस्ट : अस्थमा के मरीजों में सबसे पहले एलर्जी टैस्ट किया जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के एलर्जन्स के सहारे मरीज में अस्थमा के कारक यानी एलर्जन की पहचान की जाती है।
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