
नर्सिंग केयर के तहत इमरजेंसी में अपनाई जाने वाली बातों को समझते हैं ताकि समय रहते मरीज की जान बचाई जा सके।
अक्सर हार्ट अटैक, इंजरी या एक्सीडेंट के मामले में परिजन घबरा जाते हैं और कई बार जरूरी सावधानी नहीं बरत पाते। ऐसे में जरूरी है नर्सिंग केयर के बारे में जानना। नर्सिंग केयर के तहत इमरजेंसी में अपनाई जाने वाली बातों को समझते हैं ताकि समय रहते मरीज की जान बचाई जा सके।
हार्ट अटैक -
यूं पहचानें
घबराएं नहीं और हृदयघात के लक्षण पहचानें जैसे कि सीने में तेज दर्द (अक्सर तीव्र दबाव की शिकायत) जो सीने के मध्य भाग में होता है, सांस लेने में तकलीफ होना, त्वचा का ठंडा पड़ना एवं पसीना आना आदि।
ये करें-
लक्षण पहचानते ही तुरंत एंबुलेंस से संपर्क कर अपनी लोकेशन बताएं।
शोध बताते हैं कि मरीज को घुटने मोड़कर जमीन से 75डिग्री के कोण पर बैठा दें।
मरीज को घबराहट से बचाने और शांत रखने की कोशिश करें।
मरीज अगर हृदय से संबंधित दवाएं पहले से ले रहा है तो किसी चिकित्सक से बात करके नाइट्रोग्लिसरीन की गोली मरीज की जीभ के नीचे रख दें। यह दवा हृदयघात से उत्पन्न स्थिति में सहायता करती है। या फिर एस्प्रिन की गोली भी दे सकते हैं। उसके आसपास भीड़ न जमा होने दें।
सांस लेने में दिक्कत -
यूं पहचानें : सांस नली में ब्लाकेज होने से किसी की भी मृत्यु हो सकती है। अगर ऐसा है तो पीडि़त के दोनों हाथ गले पर होंगे, होंठ बाहर निकले और नीले दिखाई देंगे।
ये करें : हो सकता है पीडि़त के गले में कुछ फंसा हो। ऐसे में उसे खांसने को कहें। यदि वह बोल नहीं पा रहा है तो श्वांसनली अवरूद्ध हो सकती है। ऐसे में कमर के पिछले हिस्से को एक हाथ व दूसरे हाथ से सीने के निचले हिस्से को दबाना शुरू करें। हथेली एवं कलाई से पीडि़त के कंधे को 5 बार धक्का दें। फिर भी श्वांसनली नहीं खुलती है तो अपने दोनों हाथ कसकर उसकी छाती के निचले हिस्से में रखें। ऊपर उठाते हुए लाएं।
गंभीर रक्त स्त्राव -
ये करें : पीडि़त को सुरक्षा का अहसास कराएं।
चिकित्सकीय सहायता के लिए संपर्क करें।
पीडित की सांस लेने वाली नली अवरूद्ध तो नहीं है इस चेक करें।
पीडित सांस ले रहा है तो रक्तस्त्राव की वास्तविक लोकेशन का पता लगाएं।
यदि संभव हो तो हाथ धो लें एवं रक्तस्त्राव की जगह को साफ करें। कॉटन के कपड़े का टुकड़ा लेकर उसे रक्त प्रवाह वाली जगह पर रखें और दबाव दें।
चिकित्सकीय सहायता मिलने तक पीडि़त के साथ रहें।
सडक दुर्घटना -
ये करें : पीडित को सुरक्षित स्थान पर प्राथमिक उपचार दें। पीडि़त के कान या नाक से खून के साथ गाढ़ा चिकना सफेद या रंगहीन स्त्राव निकल रहा है तो सिर एकतरफ कर दें जिससे मुंह से निकल रहा रक्त फेफड़ों में न जाए व तुरंत अस्प्ताल पहुंचाएं। मस्तिष्क आघात के पीडि़त को पानी पिलाने या कुछ खिलाने की कोशिश न करें। गर्दन के नीचे सपोर्ट दें ताकि मूवमेंट न हो।
आग से जलना -
ये करें -
जलने पर सर्वप्रथम पीडि़त को सुरक्षित स्थान तक ले जाएं।
यदि त्वचा के सफेद रंग के उतक अथवा हड्डी और गहराई तक मांस जला हुआ दिखे तो यह आपातकालीन स्थिति है।
पीडि़त के कपडों को ढीला कर दें ताकि सांस लेने में आसानी हो।
धुएं से दूर रखें ताकि फेफड़े पर दुष्प्रभाव न हो। जले स्थान पर तौलिया अथवा कॉटन गीला करके लपेट दें। जले हुए स्थान को रगड़े नहीं।
जले बालों त्वचा को हटाने की कोशिश न करें।
Published on:
01 Aug 2019 09:47 pm
बड़ी खबरें
View Allरोग और उपचार
स्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल
