
आमतौर पर पीरियड्स 28 दिनों के चक्र में आते हैं। लेकिन जब कभी पीरियड्स समय से पहले या बाद में आए तो यह अनियमित माहवारी की ओर इशारा करता है।
महिलाओं को हर माह होने वाले पीरियड्स उनकी प्रजनन प्रणाली में परिवर्तन लाते हैं। इससे उनमें गर्भधारण की क्षमता बढ़ती है। पीरियड्स 12-16 वर्ष की आयु से शुरू होकर मेनोपॉज (पीरियड्स बंद होने की अवस्था) तक आते हैं। आमतौर पर पीरियड्स 28 दिनों के चक्र में आते हैं। लेकिन जब कभी पीरियड्स समय से पहले या बाद में आए तो यह अनियमित माहवारी की ओर इशारा करता है।
कारण-
महिला के शरीर में एस्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रॉन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोंस प्रमुख होते हैं। जिनमें गड़बड़ी से माहवारी अनियमित हो जाती है। खानपान में गड़बड़ी, खराब लाइफस्टाइल भी मुख्य कारण हैं। तनाव भी प्रमुख है जिसका सीधा असर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोंस पर पड़ता है। जरूरत से ज्यादा फिजिकल वर्कआउट भी सही नहीं है। डॉक्टरी राय जरूर लें।
लक्षण-
जननांग में जलन, खुजली के साथ बदबू वाला पानी आना।
अनियमित माहवारी के कारण सिर में दर्द रहने की शिकायत।
तनाव महसूस होना, चिड़चिड़ापन और भूख न लगना।
हाथ-पैरों में दर्द के साथ अकडऩ होना साथ ही थकान महसूस होना।
बार-बार गला सूखने के साथ ही गले में दर्द होना भी इसके लक्षण हैं।
बचाव के तरीके-
महिलाओं को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। हाइजीन के लिए अनावश्यक कैमिकल्स प्रयोग में न लें। खानपान में पौष्टिक चीजें खाएं। खूब पानी और छाछ पीएं, इससे हार्मोंस का बैलेंस ठीक रहता है। शरीर को आराम दें, तनाव से बचें। बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा न लें। पीसीओडी और हाइपोथायरॉडिज्म का समय रहते इलाज जरूर लें।
उपचार हार्मोन थैरेपी देकर इलाज करते हैं। यदि किसी प्रकार के हार्मोन डिसऑर्डर से माहवारी अनियमित हुई है तो पहले समस्या का इलाज किया जाता है। जैसे थायरॉइड, पीसीओडी आदि। रोगी को दिनचर्या में बदलाव करने के अलावा खानपान में सुधार करने के लिए कहते हैं।
Published on:
16 Sept 2019 04:02 pm
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