
मिर्गी से पीड़ित मां भी अपने बच्चे को पिला सकती है दूध
देश में आधा प्रतिशत लोग मिर्गी से ग्रसित हैं, इनमें 50 फीसदी महिलाएं हैं। अनुमान है कि भारत में 25 लाख महिलाओं को मिर्गी है, जिनमें से तकरीबन दो-तिहाई बच्चों को जन्म देने वाले उम्र के वर्ग में आती हैं।
मिर्गी से ग्रसित महिला गर्भधारण से पूर्व क्या सावधानी रखें?
स्त्री रोग विशेषज्ञ व न्यूरोफिजिशियन से उचित परामर्श लें। मिर्गी रोग से ग्रसित महिला के 95 फीसदी बच्चे बिल्कुल स्वस्थ पैदा होते हैं।
गर्भावस्था में मिर्गी के दौरों का क्या प्रभाव पड़ता है?
लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं में गर्भकाल के दौरान दौरों का कोई विपरीत असर नहीं पड़ता। करीब 20 प्रतिशत मामलों में ही दौरे बढ़ सकते हैं और करीब 20-25 प्रतिशत महिला रोगियों में ये दौरे कम भी हो सकते हैं।
क्या मिर्गी रोग से ग्रसित मां बच्चे को दूध पिला सकती है?
हां, बच्चे को दूध पिलाना सुरक्षित है। इससे बच्चे में मिर्गी रोग नहीं होता है।
मिर्गी से गर्भावस्था के दौरान किस तरह की समस्याएं होती हैं?
मिर्गी से पीडि़त ज्यादातर स्त्रियों को गर्भावस्था के दौरान कोई समस्या नहीं होती हैं, हालांकि गर्भावस्था के दौरान और उसके बाद भी जननांग से रक्तस्राव का जोखिम बढ़ जाता है, इसलिए प्रसव होने तक प्रसूति विशेषज्ञ की लगातार देखभाल बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के दौरों का बच्चे पर असर पड़ता है?
यदि गर्भवती महिला को मिर्गी के दौरे पड़ जाएं तो होने वाले बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। बच्चे में विकृतियां भी हो सकती हंै, वह समय से पूर्व भी जन्म ले सकता है। गर्भपात की भी आशंका रहती है। इसलिए रोगी डॉक्टर के परामर्श से दवा लें और पूरा इलाज कराएं।
Published on:
25 Jan 2019 03:15 pm
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