
Heart failure water intake
Heart failure water intake : हार्ट फेलियर एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिल शरीर के अंगों की जरूरत के अनुसार खून पंप करने में असमर्थ हो जाता है, जिससे मरीज को थकान, सांस की तकलीफ, पैरों में सूजन और अनियमित दिल की धड़कन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल के अन्य रोग इस स्थिति के प्रमुख कारण होते हैं। हालांकि, चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के साथ, लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्टेड डिवाइस (एलवीएडी) जैसी तकनीकों ने हार्ट फेलियर के इलाज को अधिक प्रभावी और जीवन-गुणवत्ता बढ़ाने वाला बना दिया है।
जब दिल शरीर के अंगों की जरूरत के मुताबिक खून को पंप नहीं कर पाता है, तो इसे हार्ट फेलियर कहा जाता है। इससे मरीज को थकान, सांस लेने में तकलीफ, पैरों और टखनों में सूजन, खांसी, दिल की धड़कन अनियमित होना और मितली जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हार्ट वॉल्व डिजीज या कोरोनरी आर्टरी डिजीज जैसी बीमारियां मौजूद हों। हार्ट अटैक, मायोकार्डियल इन्फार्कशन, और दिल में सूजन भी इसके मुख्य कारण होते हैं।
वर्तमान में चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण हार्ट फेलियर (Heart failure) का इलाज और प्रबंधन काफी सरल हो गया है। लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्टेड डिवाइस (एलवीएडी) जैसी आधुनिक थेरेपी हार्ट फेलियर से पीड़ित लोगों के लिए एक बड़ी राहत बन गई है। यह डिवाइस दिल के बाईं वेंट्रिकल से खून पंप करके शरीर में रक्त प्रवाह को बेहतर करती है। इस डिवाइस ने हार्ट फेलियर (Heart failure) से पीड़ित मरीजों की जीवन की गुणवत्ता और उनकी जीवित रहने की संभावनाओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
विज्ञान और तकनीक के साथ-साथ पोषण और जीवनशैली का भी हार्ट फेलियर (Heart failure) के मरीजों के उपचार में अहम स्थान है। हार्ट फेलियर के मरीजों को सही आहार और जीवनशैली अपनाने पर ध्यान देना चाहिए।
हार्ट फेलियर (Heart failure) के मरीजों को ज्यादा सोडियम लेने से बचना चाहिए क्योंकि इससे शरीर में पानी जमा हो सकता है, जिससे सूजन और सांस लेने में तकलीफ होती है। मरीजों को प्रतिदिन 1,500 से 2,000 मिलीग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। कम सोडियम वाला आहार शरीर में तरल पदार्थों की अधिकता को नियंत्रित करने में मदद करता है।
डॉक्टर हार्ट फेलियर (Heart failure) के मरीजों को प्रतिदिन 1 से 1.5 लीटर से ज्यादा तरल पदार्थ न लेने की सलाह देते हैं। इसमें पानी, जूस, कॉफी और अन्य ड्रिंक्स शामिल हैं। अत्यधिक पानी पीने से शरीर में फ्लूइड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और लक्षण गंभीर हो सकते हैं।
हार्ट फेलियर (Heart failure) के मरीजों को कुछ जीवनशैली में बदलाव करना आवश्यक होता है। ये छोटे-छोटे बदलाव दिल की सेहत को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
हार्ट फेलियर (Heart failure) के मरीजों को हल्का व्यायाम जैसे वॉकिंग, स्विमिंग या हल्की एरोबिक्स करने की सलाह दी जाती है। इससे हृदय की मांसपेशियां मजबूत होती हैं और दिल पर दबाव कम होता है।
मोटापा हार्ट पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। इसलिए वजन को नियंत्रित रखने से हार्ट फेलियर के लक्षणों को कम किया जा सकता है। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से वजन को नियंत्रित रखा जा सकता है।
क्रोनिक स्ट्रेस से हार्ट फेलियर (Heart failure) के लक्षण और भी खराब हो सकते हैं। ध्यान, प्राणायाम और योगा जैसी स्ट्रेस-रिलीविंग तकनीकों का सहारा लेना दिल की सेहत के लिए फायदेमंद होता है।
धूम्रपान और शराब का सेवन हार्ट फेलियर (Heart failure) की स्थिति को और गंभीर बना सकता है। इन आदतों से बचना न केवल दिल की सेहत के लिए बल्कि पूरे शरीर के लिए फायदेमंद होता है।
सही जीवनशैली और समय पर इलाज से हार्ट फेलियर को प्रबंधित किया जा सकता है
हार्ट फेलियर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन सही जीवनशैली, न्यूट्रिशन, और चिकित्सा देखरेख से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
Published on:
15 Oct 2024 05:33 pm
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