scriptयुवाओं में भी बढ़ रहे हैं पार्किंसंस के मामले | Parkinson's cases are rising in the youth | Patrika News

युवाओं में भी बढ़ रहे हैं पार्किंसंस के मामले

locationजयपुरPublished: May 16, 2019 11:03:47 am

Submitted by:

Jitendra Rangey

शुरुआती सालों में इसके लक्षण काफी धीमे होते हैं जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं।

Parkinson

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पार्किंसंस दिमाग से जुड़ी बीमारी
पार्किंसंस में दिमाग स्रद्ध कोशिकाएं बनना बंद हो जाती हैं। शुरुआती सालों में इसके लक्षण काफी धीमे होते हैं जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। विशेषज्ञ आम लक्षणों से इस बीमारी की पहचान करते हैं जिसमें कांपना, शारीरिक गतिविधियों का धीरे होना (ब्राडिकिनेसिया), मांसपेशियों में अकडऩ, पलकें न झपका पाना, बोलने व लिखने में दिक्कत होना शामिल हैं। यह बीमारी कुछ साल पहले तक बुजुर्गों में देखने को मिलती थी, लेकिन आजकल युवाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। विश्व में एक करोड़ से ज्यादा लोग इस रोग से ग्रस्त हैं।
पार्किंसंस बीमारी का प्रमुख लक्षण हाथ-पैरों में कंपन होना है। लेकिन बीस प्रतिशत रोगियों में ये दिखाई नहीं देते। यह बीमारी शारीरिक व मानसिक रूप से रोगी को प्रभावित करती है। अक्सर डिप्रेशन, दिमागी रूप से ठीक न होना, चिंता व मानसिकता को इस बीमारी से जोड़कर देखा जाता है। इसके कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुए हैं लेकिन इसका कारण आनुवांशिक हो सकता है।
इलाज
इससे जुड़ा कोई टैस्ट उपलब्ध न होने के कारण निदान और कारण बता पाना मुश्किल है। लक्षण देखकर इस रोग की जानकारी दी जाती है। शुरुआती स्टेज में दवाओं का सहारा लिया जाता है। लेकिन एक समय के बाद दवाओं का असर कम होकर साइड इफेक्ट ज्यादा होता है।
डीबीएस थैरेपी : इस बीमारी में डीप बे्रन स्टीमुलेशन (डीबीएस) थैरेपी कारगर साबित होती है और सर्जरी से दवाइयां कम हो जाती हैं। इसमें दिमाग का कुछ हिस्सा तरंगित किया जाता है। दिमाग की कोशिकाओं को स्टीमुलेट करने से शरीर के अंगों को कंट्रोल करने में मदद मिलती है।
डॉ. सुषमा शर्मा, न्यूरोलॉजिस्ट
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