गलत मुद्रा में बैठने से लेकर हड्डियों की कमजोरी तक, किसी भी वजह से आपको कंधे का दर्द हो सकता है। इसके अलावा मांसपेशियों का कंधे की हड्डियों के बीच में फंसना भी कंधे की एक अन्य समस्या है। ये दर्द हल्के से लेकर असहनीय तक हो सकता है। कंधे के दर्द का सही इलाज तभी संभव है जब हम इसके सही कारणों को समझ सकें। समस्या बढ़ जाए तो सर्जरी ही रास्ता बचता है। आजकल कंधे कि बीमारियों में आर्थोस्कोपी दूरबीन से सर्जरी बहुत आसान हो गई है। इसमें छोटे से छेद से सर्जरी हो जाती है और रिकवरी भी जल्दी होती है।
परिआर्थिराइटिस शोल्डर
कंधा एक बॉल और सॉकेट जॉइंट होता है, जिसमें संबंधित स्थिरता के साथ उत्कृष्ट गतिशीलता भी होती है। कंधे के जोड़ पर एक कवर की तरह होता है, जिसे कैप्सूल कहते हैं। इस कैप्सूल में कंधे की बॉल के हिलने व गति करने के लिए काफी जगह होती है। जिसकी वजह से वो बॉल सॉकेट के आसपास क्रियाशील रहती है। कंधे के परिआर्थिराइटिस की स्थिति में ये कवर सिकुडऩे लगता है। इसकी वजह से बॉल हिलने में दिक्कत महसूस करती है और प्रभावित व्यक्ति को कंधा हिलाने-डुलाने में दर्द होता है। ये समस्या डायबिटीज के मरीजों में अधिक होती है। उनका शुगर का स्तर बढ़ते कंधे के कवरिंग कैप्सूल में जकडऩ शुरू हो जाती है।
परिआर्थिराइटिस शोल्डर का उपचार
इसका शुरुआती उपचार नियमित रूप से एक्सरसाइज होता है। कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। हाल के कुछ सालों में चिकित्सा पद्धति इतनी उन्नत हुई है कि एक छोटा सा छेद करके कंधे की आर्थोस्कोपी सर्जरी मुमकिन है।
रोटेटर कफ टियर
डॉ.अरुण सिंह बताते हैं किए वैसे तो कंधा खेल गतिविधियों और शारीरिक श्रम के दौरान आसानी से घायल हो जाता है, लेकिन ज्यादातर कंधे की समस्याओं का प्राथमिक स्त्रोत रोटेटर कफ में पाए जाने वाले आसपास के कोमल ऊतक का उम्र के कारण प्राकृतिक रूप से बिगडऩा है। रोटेटर कफ में तकलीफ की स्थिति 60 वर्ष से अधिक उम्र वालों में ज्यादा देखी जाती है।
उपचार
रोटेटर कफ का उपचार रोग की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि इस रोग की शुरुआत है तो कंधे को आराम देने, हीट और कोल्ड थेरेपी, फिजियोथेरेपी, स्टेरॉयड के इंजेक्शन आदि से इलाज किया जाता है। यदि रोग बढ़ जाता है तो रोटेटर कफ को ठीक करने के लिए ऑर्थोस्कोपिक आदि की आवश्यकता पड़ती है।
कंधे का बार-बार अस्थिर होना..
ये समस्या युवा मरीजों के साथ अधिक होती है। उन्हें ऐसा महसूस होता है कि उनका कंधा बाहर की तरफ निकल कर आ रहा है। ये समस्या बहुत अधिक कष्टदायी होती है। इस समस्या को रीकरेंट इनस्टेब्लिटी ऑफ शोल्डर कहा जाता है। किसी ऐसी चोट से जिसमें मरीज की कंधे वाली बॉल सॉकेट से बाहर आ जाती है, लेबरम क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस ऊतक का यदि उपचार न किया जाए तो कंधे में बार-बार कुछ अटकने जैसी स्थिति महसूस होती रहती है।