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Rajasthan Assembly Election 2023: त्रिवेणी में आस्था, राजनीति की सरिता…विकास का ‘संगम होगा कि नहीं’

Rajasthan Assembly Election 2023: दोपहर होते-होते धूप सताने लगी थी। ओबरी, घाटा का गांव, खुमानपुर और जोगपुर मोड होते हुए सागवाड़ा रोड पकड़ा। यहीं से शुरू होता है सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र।

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पंकज वैष्णव/डूंगरपुर. Rajasthan Assembly Election 2023: दोपहर होते-होते धूप सताने लगी थी। ओबरी, घाटा का गांव, खुमानपुर और जोगपुर मोड होते हुए सागवाड़ा रोड पकड़ा। यहीं से शुरू होता है सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र। एक रास्ता पीठ, झोसावा होकर भी जाता है, लेकिन हमने ज्यादा से ज्यादा गांवों तक पहुंचने के लिए बीच का रास्ता चुना। खूंटवाड़ा, खडग़दा में मोरण नदी पुल से भी गुजरे। रास्ते में पानी की कमी साफ दिख रही थी। जोगपुर मोड़ से स्टेट हाईवे मिलते ही गाड़ी ने रफ्तार पकड़ ली।



सीमलवाड़ा से कुल 40 किमी सफर तय कर आखिर हम सागवाड़ा पहुंच गए। बेहतरीन सड़क और स्वागत द्वार यहां की अहमियत बता रहे थे। यह शहर छोटा और देहाती, लेकिन व्यापार की दृष्टि से समृद्ध लगा। बाजारों में सभी तरह का व्यवसाय है, यहां पानी की कमी है, लेकिन कृषि उपज से पूर्ति हो जाती है। व्यापारी हेमंतकुमार भगत बताते हैं कि उद्योग नहीं होने से यहां रोजगार की कमी है। यहां के काफी लोग खाड़ी देश और महानगरों में रहते हैं। ज्वैलरी व्यवसाय के मामले में सागवाड़ा समूचे वागड़ का केंद्र है।

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कब होगा मालवा से रेल जुड़ाव

सागवाड़ा के रहवासियों को जिला नहीं बनने की पीड़ा है। मांग वर्षों से चल रही है, लेकिन प्रदेश के नए जिलों की सूची में सागवाड़ा शामिल नहीं था। रेल लाइन भी यहां की प्रमुख मांगों में से एक है, जो मिले तो वागड़ का मेवाड़-मालवा और गुजरात तक आसानी से जुड़ाव हो पाए। पुराने नगर पालिका भवन के पास यहां पान की दुकान चलाने वाले किशोरकुमार भावसार और दिलीप सेवक बताते हैं कि पांच साल पहले ही बना पालिका भवन अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। एक साल से पालिका किराए के भवन में चल रही है। पालिका भवन को गिराकर शॉपिंग मार्केट बनाने की भी योजना है।

धरतीमाता : नहीं बता पाए विधायक का नाम

सागवाड़ा-डूंगरपुर स्टेट हाईवे 927 ए निर्माणाधीन है। लिहाजा सफर थोड़ा मुश्किल हो गया। इसी रोड पर गांव आता है धरतीमाता। यहां लोगों से बात की तो अपनी विधानसभा और विधायक का नाम भी नहीं बता पाए। कहते हैं यहां कोई नहीं आता। स्थानीय निवासी शांतिलाल खटीक को तीन जवान बेटों के कॅरियर को लेकर चिंता है। पूर्व उपसरपंच देवीलाल रोत कहते हैं कि हाईवे में गई जमीनों का मुआवजा नहीं मिला। गांव में बिजली-पानी नहीं मिलता। पहाडि़यों में छितराई आबादी है, खेती भी नाम मात्र की होती है। भू-जल भी खारा है।

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गांव तक नहीं पहुंची योजनाएं

डूंगरपुर जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर आसपुर के रास्ते पर बनकोड़ा, पुंजपुर, निहालपुर, काब्जा आदि गांव आए। बोड़ीगामा बड़ा के टेलरिंग करने वाले सुखलाल कहते हैं कि सरकार की योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन लोगों तक लाभ नहीं पहुंचा है। हालांकि पचलादा छोटा निवासी भवानीसिंह, संजय कलासुआ ने योजनाएं बेहतर बताईं।

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