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हर साल 365 करोड़ रुपए का गुटखा खा रहे इस छोटे शहर के लोग, सांसद ने बताई पूरी गणित, छोड़ने की अपील की…

Gutkha Consumption Cancer Risk: उनका कहना है कि लोग अवेयर रहें और मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें, नहीं तो कैंसर की संभावना ज्यादा है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर - AI

Dungarpur News: सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की रोकथाम अब भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। वहीं डूंगरपुर जैसे आदिवासी बहुल जिले में हर दिन गुटखे पर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो रहे हैं। यह कोई कयास नहीं, एक दुकानदार से शुरू हुई बातचीत के आंकड़ों पर आधारित एक चौंकाने वाली सच्चाई है। इससे सांसद राजकुमार रोत ने पर्दा उठाया है और अपने सोशल मीडिया पर इस पूरे मामले की जानकारी दी है। उनका कहना है कि लोग अवेयर रहें और मादक पदार्थों का सेवन करने से बचें, नहीं तो कैंसर की संभावना ज्यादा है।

सांसद की ओर से किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, डूंगरपुर जिले की एक छोटी दुकान पर प्रतिदिन औसतन 8 पैकेट गुटखा बिकते हैं। एक पैकेट में 30 पुड़िया होती हैं और हर पुड़िया पांच रुपए की आती है। इसका सीधा सा मतलब है, एक दुकान पर प्रतिदिन 1200 रुपए का गुटखा बिक रहा है। पूरे जिले की बात करें तो डूंगरपुर की 353 ग्राम पंचायतों में औसतन 25-30 दुकानें हैं। कुल मिलाकर यह संख्या करीब 8825 दुकानों तक पहुंचती है। जब हर दुकान पर 1200 रुप की बिक्री हो रही हो, तो कुल बिक्री प्रतिदिन ₹1,05,90,000 यानी 1 करोड़ 5 लाख रुपए से भी ज़्यादा की होती है।

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हर रोज एक करोड़ की बात की जाए तो यह पूरे साल में 365 करोड़ रुपए बैठते हैं। सांसद ने शहर वासियों से गुटखा और अन्य मादक पदार्थ छोड़कर स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की अपील की है। यूजर भी गुटखा छोड़ने की बात करते हुए सांसद से नशा मुक्ति अभियान चलाने जैसी मांग कर रहे हैं।

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यह आंकड़ा सिर्फ एक गुटखा का है। इसमें बीड़ी, सिगरेट, शराब और अन्य गुटाखा एवं मादक पदार्थ का हिसाब जोड़े तो यह सामाजिक और स्वास्थ्य संकट और भी गंभीर हो जाता है। इस पर विचार करना ज़रूरी है कि जिस उत्पाद को हम हल्के में ले रहे हैं, वह असल में कैंसर का बीज बो रहा है। मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन मुंह के कैंसर से लेकर पाचन तंत्र की गंभीर बीमारियों तक का कारण बन सकता है। सांसद की इस रिपोर्ट का मकसद आंकड़े गिनाना नहीं, सोच जगाना है।


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