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राजस्थान में यहां साल में आठ माह जलमग्न रहते हैं संगमेश्वर महादेव, पढ़ें पूरी खबर

सोम, माही एवं अनास नदी के संगम पर स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर साल के आठ महीने जलमग्न रहता है। पिछले दिनों वागड़ में मूसलाधार बरसात एवं माही बांध के गेट खुलने के बाद एक बार फिर से शिवालय जलमग्न हो गया है।

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डूंगरपुर। सोम, माही एवं अनास नदी के संगम पर स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर साल के आठ महीने जलमग्न रहता है। पिछले दिनों वागड़ में मूसलाधार बरसात एवं माही बांध के गेट खुलने के बाद एक बार फिर से शिवालय जलमग्न हो गया है।

डूंगरपुर जिले के चीखली कस्बे के बेडूआ से कुछ दूरी पर स्थित संगमेश्वर महादेव मंदिर में पूजा-अर्चना का जिम्मा नाव संचालकों ने थाम रखा है। श्रद्धालु भी नाव से दर्शनार्थ पहुंचते हैं और मंदिर के ऊपरी हिस्से में पूजा-अर्चना करते हैं। उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार की ओर से कडाणा बांध बनाए जाने से यह संगम स्थल डूब गया था। यहां पर दोनों शिव मंदिर आठ माह पानी में डूबे रहते हैं।

परमार कला का प्रतिनिधित्व
संगमेश्वर तीर्थ स्थल चीखली-आनन्दपुरी के मध्य स्थित माही अनास नदियों के संगम पर है, जो अधिकारिक तौर पर बांसवाडा जिले के गढ़ी तहसील के अंतर्गत आता है, लेकिन क्षेत्र के हिसाब से चीखली (डूंगरपुर) के समीप है।

इसी मंदिर से अरथूना भी नजदीक है। चीखली से चार किलोमीटर पूर्व दिशा में आनन्दपुरी मार्ग पर माही अनास नदियों के संगम पर प्राचीन देवालयों का निर्माण सातवीं सदी में गढ़ी रियासत के राजाओं की ओर से निर्मित अरथूना की परमार कला का प्रतिनिधित्व भी करती है। माही, अनास व जाखम नदियों के संगम पर होने के कारण इस स्थान का नाम भी संगमेश्वर रखा गया है।