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OMG! इस जिले में एक लाख 23 हजार फर्जी आधार नंबर, हितग्राही बन डकार गए 41 करोड़ के चावल

जिले के 1 लाख 23 हजार से ज्यादा हितग्राही फर्जी आधार नंबर देकर दो साल से पीडीएस का चावल डकार रहे हैं।

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दुर्ग

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Dakshi Sahu

May 05, 2018

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दुर्ग . जिले के 1 लाख 23 हजार से ज्यादा हितग्राही फर्जी आधार नंबर देकर दो साल से पीडीएस का चावल डकार रहे हैं। राशन कार्डों के साथ हितग्राहियों के आधार नंबरों की सीडिंग और इसके बाद कराए गए सत्यापन में इसका खुलासा हुआ है। राशन दुकानों में एक हितग्राही को 7 किलो चावल मिलते हैं। इस तरह हर माह 8 हजार 610 क्विंटल चावल उड़ाया जा रहा है।

आधार नंबर लिंक कराए जा रहे
बाजार में चावल की कीमत २० रुपए किलो माना जाए तो इसकी कीमत 1 करोड़ 72 लाख रुपए होता है। खाद्य विभाग द्वारा पीडीएस में घालमेल की शिकायतों के बाद पारदर्शिता के लिए राशन कार्ड के साथ हितग्राहियों के आधार नंबर लिंक कराए जा रहे हैं। यह कार्य दो साल से चल रहा है। शुरूआत में डिमांड के बाद भी अधिकतर हितग्राहियों ने आधार नंबर जमा नहीं कराया।

नंबर की जांच कराई गई
इसके बाद सख्ती करते हुए सरकार ने पिछले साल मार्च-अप्रैल में आधार के बिना राशन रोक देने की चेतावनी से साथ अभियान चलाया। इसमें राशन से वंचित हो जाने की आशंका के चलते हितग्राहियों ने फर्जी आधार नंबर जमा करा दिया। सॉफ्टवेयर से एक ही आधार नंबर की गड़बड़ी के खुलासे के बाद अब एक-एक नामों के अनुसार आधार नंबर की जांच कराई गई है। इसमें 1 लाख 23 हजार 239 हितग्राहियों के आधार नंबर नाम से मैच नहीं कर रहे। खाद्य विभाग ने इसके लिए ११ लाख २१ हजार ४३८ हितग्राहियों के डिटेल चेक किया।

खाद्य विभाग द्वारा दो साल से आधार नंबर को यूनिट का सत्यापन मानकर राशन वितरण किया जा रहा है। इस तरह इन राशन कार्डों में दर्ज नामों से करीब 24 महीनों से राशन लिया जा रहा है। गलत आधार नंबरों के हिसाब से गणना करंे तो इन दो सालों में इन फर्जी आधार नंबर वाले हितग्राहियों ने 2 लाख ६ हजार ६४० क्विंटल यानि 41 करोड़ ३२ लाख 8 0 हजार से अधिक कीमत का चावल उड़ा चुके हैं।

2634 ने दो साल में भी नहीं दिए आधार नंबर
दो साल से मांगे जाने के बाद भी जिले के 2 हजार 634 हितग्राहियों ने अब तक आधार नंबर नहीं दिया। जिले में इस समय 3 लाख 3 हजार 612 राशन कार्ड चल रहे हैं। इनमें 11 लाख 24 हजार 72 सदस्यों के नाम है। इसमें से
9 लाख ९७ हजार ८४९ के आधार नंबर सही पाए गए।

99 हजार को किए जा चुके हैं डिलिट
खाद्य विभाग ने पिछले साल जून में भी ऐसी ही गड़बड़ी के कारण 99 हजार नामों को डिलिट किया था। आधार सीडिंग के बाद विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से जांच में एक ही आधार नंबर को एक से अधिक नामों के साथ सीडिंग करा लेने के मामले सामने आए थे। इसके बाद जांच कराई गई थी। इसमें ये हितग्राही या तो वास्तविक आधार नंबर जमा नहीं करा पाए अथवा मौके पर नहीं मिले।

सीधी बात खाद्य नियंत्रक, सीपी दीपांकर
Q 98 फीसदी हितग्राहियों ने आधार नंबर दे दिया है, फिर दोबारा क्यों मांगा जा रहा है?
A सत्यापन में कई हितग्राहियों के आधार नंबर सही नहीं पाए गए हैं। इनसे सही नंबर लिया जाना है।
Q इसका मतलब है कि लोगों ने फर्जी आधार नंबर दे दिया।
A नंबर सही नहीं है तो ऐसा कहा जा सकता है। इनके सही नंबर आ जाए अब यही प्रयास किया जा
रहा है।
Q फर्जी नंबर देकर अपात्रों द्वारा भी तो राशन उड़ाए जाने के मामले हो सकते हैं?
A हो सकता है, इस पर अभी कुछ स्पष्ट कह पाना मुश्किल है। शासन के निर्देश पर सभी हितग्राहियों के जल्द से जल्द सही नंबर लेने की कोशिश की जा रही है।

इस तरह हुआ खुलासा
सार्वजिनक वितरण प्रणाली की संपूर्ण व्यवस्था ऑनलाइन की गई है। इसके लिए खाद्य विभाग द्वारा विशेष सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इस सॉफ्टवेयर में हितग्राहियों की सूची के साथ उनका आधार नंबर सीडिंग कराया गया। सॉफ्टवेयर में दर्ज नाम को आधार नंबर के डिटेल से मिलाकर सत्यापन किया। पीडीएस से परिवार के सदस्यों की संख्या को यूनिट माना गया है। प्रत्येक यूनिट पर 7 किलोग्राम के हिसाब से चावल दिया जाता है। हर हितग्राही का अपना आधार नंबर होने से यूनिट में गड़बड़ी की संभावना नहीं रहेगी।