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छमाही परीक्षा में सरकारी स्कूलों के बच्चें ही नहीं शिक्षक भी फेल

जिले के सरकारी स्कूलों में दसवीं और बारहवीं के छात्र गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय को समझ ही नहीं पा रहे हैं।

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Satya Narayan Shukla

Dec 28, 2016

Half yearly examination in government schools of t

Half yearly examination in government schools of the not only children but also teacher failed

भिलाई.
जिले के सरकारी स्कूलों में दसवीं और बारहवीं के छात्र गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषय को समझ ही नहीं पा रहे हैं। हालात यह है कि छमाही के परिणाम में जिले के 90 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में सबजेक्ट टीचर बच्चों को ढंग से समझा ही नहीं पाए।


साक्षरता भवन में स्कूलों की समीक्षा

डीईओ ने बुधवार को साक्षरता भवन में जब हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों की समीक्षा शुरू की तो खुलासा हुआ कि सभी स्कूलों में गणित, विज्ञान का परिणाम काफी कमजोर रहा। डीईओ ने जब खराब रिजल्ट का कारण जानना चाहा तो प्राचार्यों ने बच्चों के कमजोर होने का बहाना बनाने लगे। कुल मिलाकर निष्कर्ष यह निकला कि शिक्षकों का परफार्मेंस ही खराब है।


समीक्षा बैठक 30 दिसंबर तक

इसे ऐसा समझा जा सकता है कि बच्चे दो या तीन विषय में ही क्यों कमजोर है, अन्य विषय में औसत से ज्यादा बच्चे पास है, यानी सबजेक्ट टीचर ही सही ढंग से उन्हें नहीं पढ़ा रहे। बैठक में स्कूलवार समीक्षा कर सौ से ज्यादा सबजेक्ट टीचर को शोकॉज नोटिस दिए जाने पर विचार किया जा रहा है। समीक्षा बैठक 30 दिसंबर तक चलेगी। बुधवार को पहले दिन 49 स्कूलों की समीक्षा की गई।


शिक्षकों का पक्ष लेना बंद करें

खराब रिजल्ट से नाराज डीईओ ने प्राचार्यों को हिदायत दी कि वे शिक्षकों का पक्ष लेना बंद करें। उन्होंने कहा कि शिक्षकों का खराब परफार्मेंस इस बात को बताता है कि उन्होंने बच्चों की साइकोलॉजी को नहीं समझा। जिसकी वजह से बच्चे विषय को समझ ही नहीं पाए। उन्होंने कहा कि बोर्ड परीक्षा से पहले उनके पास 20 दिन है जिसमें वे कमजोर बच्चों के लिए कुछ खास कर सकते हैं।अगर वे अभी गंभीर नहीं हुए तो जिले में बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट काफी कम हो जाएगा।


गलत कॉपी जांचकर बढ़ा दिया परसेंट

मिशन बेटर एजुकेशन के तहत पिछले सप्ताह हुए स्पेशल कोचिंग की समीक्षा जब की कई तो काफी चौकाने वाले तथ्य सामने आए। कोचिंग के इंचार्ज सुरेश राव ने बताया कि प्राचार्यो ने जिन बच्चों को 85 प्रतिशत से ज्यादा अंक वाला बताया गया। छमाही की उनकी उत्तरपुस्तिका ने सारी पोल खोल दी। कई स्कूलों में शिक्षकों ने मूल्यांकन ही गलत कर दिया जिसकी वजह से बच्चों के गलत उत्तर में भी अंक दे दिए गए।


85 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र सीधे फेल

इस कोचिंग में रोजाना लिए टेस्ट में 85 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र सीधे फेल हो गए। 260 बच्चों में से मात्र 45 बच्चे ही ऐसे मिले जिनसे विभाग को उम्मीदें है। अगर इन बच्चों पर प्राचार्य व शिक्षक ने ध्यान नहीं दिया तो उनका परफार्मेंस भी कम होता चला जाएगा। डीईओ ने कहा कि टेस्ट सीरिज के दौरान उन बच्चों की कॉपी का सही मूल्यांकन हो इसके लिए क्रास चेकिंग की भी व्यवस्था करें।


दसवीं में 70 और बारहवीं में 90 फीसदी रिजल्ट

इस वर्ष बोर्ड परीक्षा में परिणाम का लक्ष्य दसवीं में 70 प्रतिशत और बारहवी में 90 फीसदी रखा गया है। इसलिए जरूरी है कि सबजेक्ट टीचर अपने विषयों को और बेहतर ढंग से बढ़ाए। उन्होंने बताया कि दसवीं के छात्र गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में काफी कमजोर है और यही बोर्ड के रिजल्ट को भी प्रभावित करेंगे जबकि 12 वीं में अंग्रेजी और कला व वाण्जिय संकाय के विषयों का परफार्मेंस खराब है।


यह क्या मजाक है..
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ओदरागहन स्थित शासकीय स्कूल की समीक्षा जब डीईओ ने शुरू की तो वे आश्चर्य में पड़ गए कि पर्यावरण की परीक्षा में 33 में से केवल 1 छात्र ही उर्तीण हुआ। उन्होंने जब पूरे स्कूल का रिजल्ट देखा तो ओवरऑल रिजल्ट 30 फीसदी भी नहीं था। डीईओ ने पर्यावरण जैसे सरल विषय का रिजल्ट देखकर नाराजगी जताई और कहा कि जब पर्यावरण में यह हाल है तो बाकी विषय में क्या हाल होगा इसका अंदाजा उन्हें लग गया।


बीएड छात्रों का काम अनुभव लेना

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इसी तरह खपरी स्कूल की प्राचार्य को भी उन्होंने फटकारा। डीईओ ने बताया कि वे जब स्कूल में निरीक्षण के लिए पहुंचे तो टीचर्स स्टाफ रूम में थे और बीएड के छात्र पढ़ा रहे थे और वह भी गलत। बीएड छात्रों का काम अनुभव लेना है, लेकिन इस दौरान टीचर की ड्यूटी क्लास की लास्ट बेंच में बैठकर उन्हें देखने की है कि वे गलत न पढ़ाएं पर शिक्षक को कुछ और ही कर रहे थे।


फाइल फैक्ट

कुल 49 स्कूलों के प्राचार्य हुए शामिल। 90 फीसदी स्कूलों में गणित का रिजल्ट 30 प्रतिशत से कम। 70 फीसदी स्कूलों में विज्ञान का परिणाम- 25 फीसदी। 80 फीसदी स्कूलों में 35 प्रतिशत से कम अंक लाते हैं छात्र। 40 प्रतिशत छात्र है हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत में कमजोर।

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