
मतदाता सूची में बड़ा फर्जीवाड़ा, हजारों फर्जी नाम जोडऩे की तैयारी थी, भांडा फूटा तो तहसीलदार को किया निलंबित
दुर्ग. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने की कोशिश करने का खुलासा हुआ है। प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर पिछले दरवाजे से सूची में हजारों फर्जी मतदाताओं के नाम जोडऩे की तैयारी थी। भांडा फूट जाने के बाद तहसीलदार अमित सिन्हा को निलंबित कर दिया गया है। निर्वाचन आयोग ने पिछले दिनों मतदाता सूची का पुनरीक्षण कराया। जिसमें सूची में मतदाताओं के नाम जोडऩे और काटने का काम किया गया।
प्रावधानों को किया दरकिनार
इसी का फायदा उठाकर सूची में फर्जी मतदाताओं का नाम जोड़ा जाने वाला था। सूची में नाम जोडऩे के लिए मतदाताओं के नाम व पते को प्रमाणित करने वाले दस्तावेज के साथ आवेदन और नाम जोडऩे से पहले मतदाता का भौतिक सत्यापन जरुरी है, लेकिन इन प्रावधानों को दरकिनार कर पिछले दरवाजे से नाम जोडऩे का पूरा प्लान तैयार किया गया था।
स्पेशल सॉफ्टवेयर ने पकड़ा
निलंबित तहसीलदार पर भिलाई नगर निगम क्षेत्र के मतदान केंद्रों की जिम्मेदारी थी। इसी इलाके में इससे पहले भी करीब 40 हजार से ज्यादा फर्जी मतदाताओं के नामों का खुलासा हो चुका है। इन नामों को निर्वाचन आयोग के स्पेशल सॉफ्टवेयर ने पकड़ा था। इसके बाद इन नामों को हटाया गया था।
उप जिला निर्वाचन अधिकारी बीबी पंचभाई ने बताया कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य में लापरवाही के कारण तहसीलदार पर कार्रवाई की गई है।कार्रवाई आला अफसरों ने की है और फाइल मेरे पास नहीं है,इसलिए किस तरह की लापरवाही की गई थी,यह मैं अभी नहीं बता पाउंगा।
4 लाख नामों को लेकर शिकायत की गई
निर्वाचन आयोग में मतदाता सूची में प्रदेश के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में करीब 4 लाख फर्जी मतदाताओं के नाम जोडऩे को लेकर शिकायत की गई है। कलक्टर ने जांच की तो इस गड़बड़ी की पुष्टि हुई। पूर्व में फर्जी नामों के खुलासे को देखते हुए आयोग मतदाता सूची की ऑडिट की तैयारी कर रहा है।
3 महीनेभर पहले ही हुई थी पदस्थापना
तहसीलदार सिन्हा तीन माह पहले ही पदस्थ हुए थे। चर्चा है कि चुनाव को ध्यान में रखकर ही उन्हें भिलाई जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई थी। मामले में पक्ष जानने तहसीलदार सिन्हा के मोबाइल नंबर ९८२७५३३४२२ पर संपर्क करने का प्रयास किया गया। उनका मोबाइल पूरे दिन स्वीच ऑफ मिला।
पर्दा डालने की कोशिश
यह बताना लाजिमी होगा कि निर्वाचन आयोग के निर्देश के बाद भी पहले गोलमाल जवाब देकर मामले में पर्दा डालने की कोशिश की गई थी। जब आयोग ने सख्ती दिखाते हुए खुद जांच की बात कही तब सूची से आनन-फानन में फर्जी नाम हटाए गए। मामले में निलंबित तहसीलदार के अलावा अन्य अफसरों की भूमिका भी संदिग्ध है,लेकिन तहसीलदार के प्रभार वाले इलाके होने के कारण सारा ठिकरा उनके सिर फोड़ दिया गया।
सीधी बात, दिलीप वासनीकर, दुर्ग संभाग आयुक्त
Q तहसीलदार अमित सिन्हा को किस कारण से निलंबित किया?
A मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य में लापरवाही के कारण।
Q बताया यह जा रहा है कि उन्होंने मतदाता सूची में बड़ी संख्या में फर्जी नाम जोड़ दिए थे ?
A जोड़े नहीं गए थे, उनके पास कोई सूची थी। जांच के आधार पर उनके खिलाफ कलक्टर ने कार्रवाई की अनुशंसा की थी।
Q ऐसी गड़बड़ी न हो क्या तैयारी है?
A चुनाव में पारदर्शिता प्रत्येक अधिकारी का दायित्व है। जो इसका पालन नहीं करेगा तो कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
30 Sept 2018 10:24 am
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