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हेमंत कपूर
दुर्ग। CG News : सरकारी खरीदी और बोनस के चलते आमतौर पर धान की खेती को ही फायदेमंद माना जाता है, लेकिन दुर्ग जिले में फूलों की खेती भी किसानों को मालामाल बना रही है। धान की खेती की तुलना में कम मेहनत और कम खर्च के चलते यहां के किसानों का रूझान फूलों की खेती की ओर बढ़ा है।
फूलों की ज्यादा डिमांड और आसानी से बिक्री से उनकी आय में इजाफा हुआ है। जिले में करीब 1600 एकड़ में फूलों की खेती होती है। इससे हर साल करीब 25 करोड़ का कारोबार होता है। जिले में करीब 45 हजार हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों की खेती होती है। इनमें 638 हेक्टेयर यानी 1595 एकड़ फूलों की खेती का भी शामिल है। जिले के करीब 1200 किसान फूलों की खेती कर रहे हैं।
इनमें से कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने धान की खेती छोड़कर फूलों की खेती अपनाई है। इनमें मोहलाई, चंदखुरी, महमरा, बेलौदी, भेड़सर, डांडेसरा, फेकारी, सेलूद के किसान शामिल हैं। परंपरागत पद्यति के अलावा कई किसान पॉली हाउस में भी फूलों की खेती कर रहे हैं।
फूलों की खेती ( पिछली बार)
- 143 हेक्टेयर में गेंदा (मेरीगोल्ड) की खेती
- 40 हेक्टेयर में लगाई थी किसानों ने गुलाब की खेती
- 77 हेक्टेयर में रजनीगंधा (ट्यूबरोस) की फसल
- 87 हेक्टेयर में ग्लैडियोलस की खेती
- 25 हेक्टेयर में क्राइसैंथिमम यानी गुलदाउदी की खेती
- 266 हेक्टेयर में अन्य फूलों की खेती कर रहे थे किसान
- 638 हेक्टेयर में किसानों ने लगाई थी फूलों की खेती
पिछली बार हुई थी फूलों की पैदावार
- 1103 मीट्रिक टन गेंदा
- 1031 मीट्रिक टन गुलाब
- 344 मीट्रिक टन रजनीगंधा
- 1188 मीट्रिक टन ग्लैडियोलस
- 315 मीट्रिक टन गुलदाउदी
- 112 मीट्रिक टन अन्य फूलों की हुई पैदावार
- 4092 मीट्रिक टन से ज्यादा हुई थी पिछले बार पैदावार
नागपुर-कोलकाता पर निर्भरता घटी
जिले में स्थानीय बाडिय़ों के साथ नागपुर व कोलकाता से भी फूल लाए जाते हैं।लेकिन पिछले कुछ सालों में इन शहरों पर निर्भरता कम हुई है। अब गेंदा और गुलदाउदी की पूर्ति स्थानीय बाडिय़ों से हो जाती है। इसके अलावा रायपुर, राजनांदगांव, कवर्धा में भी इन फूलों की सप्लाई होती है। बड़े शहरों से गुलाब व रजनीगंधा जैसे कीमती फूल बहुतायत में आते हैं।
10 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार
जिले में करीब 1200 छोटे-बड़े किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। सामान्य स्थिति में खेतों में कम से कम 5 से 7 लोगों को रोजगार मिल जाता है। इसके अलावा परिवहन और बाजार के 3 से 5 लोगों को भी रोजगार का अवसर मिलता है। इन सभी को मिला दें तो एक किसान के माध्यम से कम से कम 10 लोगों को रोजगार मिलता है। इस तरह फूलों के कारोबार से जिले के करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलता है।
4098 मीट्रिक टन पैदावार
पिछले सीजन में इन किसानों ने अलग-अलग वेरायटी के 4098 मीट्रिक टन से ज्यादा फूलों की पैदावार ली थी। इनमें गुलाब, रजनीगंधा जैसी कीमती और डिमांड वाले फूल भी हैं। सामान्य स्थिति में इन फूलों की बिक्री से किसानों और व्यापारियों के हाथों में 25 से 30 करोड़ आता है। किसानों की मानें तो धान की तुलना में कम खर्च और मेहनत के चलते इससे काफी बचत हो जाती है।
जिले में फूलों की खेती में अच्छी संभावना है। लोकल बाजार में मांग भी अच्छी है, इसलिए बिक्री में दिक्कत नहीं होती। आधुनिक तरीके अपनाकर खेती करें तो बड़े शहरों के फूलों की क्वालिटी को भी चुनौती दी जा सकती है। इससे फूलों की कीमत अच्छी मिल सकती है। किसानों का फूलों की खेती की ओर रूझान बढ़ा है। सरकार ध्यान दे तो न सिर्फ इसे बढ़ावा मिलेगा, बल्कि किसानों को भी ज्यादा फायदा होगा।
- भूपेश टांक, फूल उत्पादक किसान, ग्राम टेमरी (बड़े)
Published on:
05 Oct 2023 04:41 pm
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